फ्रेडी: फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

शनिवार, 3 दिसंबर 2022 (12:32 IST)
कम बोलने वाले और शर्मिले इंसान को लोग हल्के में ले लेते हैं, लेकिन ये लोग भी अपने तेज दिमाग के बूते पर भारी पड़ जाते हैं। फ्रेडी जीनवाला 28 साल का हो गया है। शादी नहीं हो रही है। अजीब सा शख्स है। शादी कराने वाली वेबसाइट के जरिये कुछ लड़कियों से मुलाकात करता है, लेकिन पहली मुलाकात में सामने वाले पर इतना बुरा असर छोड़ता है कि लड़कियां कुछ ही मिनटों में उसे छोड़ कर चली जाती है। 

 
पेशे से वह दांतों का डॉक्टर है और अपनी मरीज कैनाज ईरानी (अलाया एफ) उसे पसंद आ जाती है, लेकिन उसका दिल यह जान कर टूट जाता है कि कैनाज शादीशुदा है। कैनाज को जब वह नजदीक से जानने की कोशिश करता है तो पता चलता है कि उसका पति रूस्तम (सज्जाद डेलफरोज़) उसे बहुत मारता है। यह जान फ्रेडी का खून खौल उठता है। कैनाज से वह हमदर्दी जताता है तो वह भी उसके नजदीक आ जाती है। फ्रेडी को यह पता नहीं रहती है कि अब उसकी जिंदगी में भूचाल आने वाला है और वह मुसीबत में फंस सकता है। 
 
परवेज शेख की लिखी कहानी एक थ्रिलर है, जिसका शुरुआती घंटा बहुत सुस्त चलता है। जिस तरह का बोरिंग इंसान फ्रेडी है उसी तरह की धीमी रफ्तार से फिल्म चलती है, लेकिन जैसे-जैसे फ्रेडी की जिंदगी में यू टर्न आता है फिल्म दौड़ने लगती है। निश्चित रूप से फिल्म दर्शकों को एंगेज रखती है और आगे क्या होगा यह उत्सुकता निरंतर बनी रहती है, लेकिन यह बात भी है कि ड्रामा पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है।
 
फ्रेडी का किरदार रंग बदलता है यहां तक ठीक है, लेकिन जिस तरीके से वह चीजों को अंजाम देता है उस पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल है। फिल्म दर्शाती है कि बदलते हालातों में व्यक्ति अपने उन पहलुओं से परिचित होता है जिनके बारे में वह कभी नहीं जानता था। फ्रेडी के किरदार से यह बात सामने आती है। लेखक यदि फ्रेडी के कारनामों को विश्वसनीय बना पाते तो फिल्म की चमक बढ़ जाती। डरपोक फ्रेडी की बातें अचानक अलाया और उसका साथी मानने लग जाते हैं जिससे हैरत होती है। 
 
अलाया अपनी से शादी खुश नहीं है तो वह अपने पति से अलग क्यों नहीं हो जाती? इसका जवाब फिल्म में आगे मिलता है, लेकिन फ्रेडी यह बात अलाया से क्यों नहीं पूछता है, ये बात फिल्म देखते समय खटकती है। एक पाइंट के बाद लगता है कि फिल्म को खींचा जा रहा है। साथ ही कुछ जगह लेखक ने अपनी सहूलियत के हिसाब से स्क्रिप्ट लिखी है।
 
फ्रेडी एक थ्रिलर है, लेकिन जो तनाव और रोमांच पैदा होना चाहिए वो इसमें ज्यादातर जगह मिसिंग लगता है। साथ ही यह जानना मुश्किल नहीं है कि आगे क्या होने वाला है।    
 
लेखन की कमजोरियों को शशांक घोष अपने कुशल निर्देशन से छिपा लेते हैं। शशांक ने ड्रामे को रोचक बनाने की पूरी कोशिश भी की है। पारसी परिवार की जीवन शैली, मुंबई की उम्दा लोकेशन्स, बारिश, फ्रेडी के अकेलेपन को उन्होंने अच्छे से उभारा है। 
 
कार्तिक आर्यन ने एक अंतमुर्खी और आत्मविश्वास की कमी से जूझते व्यक्ति की भूमिका निभाई है। कुछ सीन में उनकी एक्टिंग अच्छी है तो कहीं वे ओवरएक्टिंग कर गए। हालांकि फिल्म दर फिल्म वे बेहतर हो रहे हैं, लेकिन कुछ दृश्यों में उनकी कोशिश दिखाई देती है। अलाया एफ का किरदार जब रंग बदलता है तब वे बेहतर लगती हैं। कास्टिंग डायरेक्टर ने कुछ अच्छे कलाकार लिए हैं जो पारसी किरदारों में फिट बैठते हैं। रूस्तम के रूप में सज्जाद डेलफरोज, रेमंड के किरदार में करण पंडित ने अच्छा काम किया है। 
 
अयानंका बोस की सिनेमाटोग्राफी जबरदस्त है। तकनीकी रूप से फिल्म मजबूत है। 
 
शाम को डिनर के बाद ओटीटी पर अक्सर हम कुछ ऐसा कंटेंट ढूंढते है जिसके लिए दो घंटे का समय काट सके और फ्रेडी इसके लिए फिट है। देखो और भूल जाओ। 

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