प्यार का पंचनामा 2 : फिल्म समीक्षा

प्यार का पंचनामा 2 उन लड़कों की कहानी है जो अपनी गर्लफ्रेंड्स द्वारा प्रता‍ड़ित हैं। गर्लफ्रेंड्स को वे प्यार करते हैं, शादी करना चाहते हैं, पैसा खर्च करते हैं, लेकिन गर्लफ्रेंड्स उन्हें 'यूज़' करती है। यह फिल्म लड़कों के दृष्टिकोण से बनाई गई है और लड़कियों के खिलाफ है। फिल्म के मुताबिक लड़कियां बेहद स्वार्थी होती हैं और प्यार के नाम पर लड़के को बॉडीगार्ड, ड्राइवर और एटीएम बना लेती हैं। लड़कियों से 'कुछ' पाने की आस में लड़के उनके सारे नखरे सहते हैं और 'कुत्ता' बन कर रह जाते हैं। 
 
निर्देशक लव रंजन ने फिल्म को दिल्ली में रहने वाले तीन लड़कों गोगो (कार्तिक आर्यन), ठाकुर (ओंकार कपूर) और चौका (सनी सिंह) के माध्यम से दिखाया गया है। ये लड़के उस वर्ग का प्रतिनिधिवत्व करते हैं जो अच्छा खासा कमाते हैं। ठाकुर तीन लाख रुपये महीना कमाता है और मौज-मस्ती से रहता है। इन तीनों की लाइफ में चीकू, सुप्रिया और कुसुम की एंट्री होती है। लड़की के चक्कर में पहले तो ये उनकी हर फरमाइश पूरी करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इन्हें समझ आता है कि लड़कियां इन्हें बेवकूफ बना रही हैं। 
सुप्रिया से चौका शादी करना चाहता है, लेकिन वह मां-बाप की आड़ लेकर चौका से अपने काम निकलवाती रहती है। बेचारा चौका उसकी मां के साथ शॉपिंग करता है और अंडे तक खरीदता है। उसका प्यार भी सच्चा है, लेकिन सुप्रिया उसे हाथ तक नहीं लगाने देती। 
 
ठाकुर की गर्लफ्रेंड कुसुम उससे खूब खर्चा कराती है और जताती ऐसे है जैसे वह बराबरी में खर्चा कर रही हो। ठाकुर को उससे पूछ कर हर बात करना होती है और बातों को ट्विस्ट कर वह ठाकुर को गलत साबित करना बखूबी जानती है। 
 
गोगो अपनी गर्लफ्रेंड चीकू से इसलिए परेशान है कि वह उसके बजाय अपने 'बेस्ट फ्रेंड' सनी को ज्यादा महत्व देती है।
 
फिल्म की कहानी साधारण है और सभी लड़कियों और लड़कों को एक निगाह से देखती है जबकि सभी एक से हो जरूरी नहीं है। तीनों लड़कों की प्रेम कहानियों में सुप्रिया और चौका वाला ट्रेक सबसे अच्छा है और भरपूर मनोरंजन करता है। दूसरी ओर गोगो-चीकू वाला ट्रेक ज्यादा अपील नहीं करता। उलटे ये गोगो की ईर्ष्या को दिखाता है। 
 
लव रंजन के निर्देशन में भले ही कल्पनाशीलता का अभाव हो, लेकिन उनके लेखकों ने कुछ हद तक फिल्म को संभाल लिया है। फिल्म लव रंजन के साथ मिलकर तरूण जैन और राहुल ने लिखा है। फिल्म में लगातार गुदगुदाने वाले सीन आते रहते हैं जो लड़कों की मनोदशा को अच्छे से दर्शाते हैं। एक खास उम्र में लड़कियों को पाने के लिए लड़के किस हद तक जाते हैं ये बात फिल्म में अच्छे से दिखाई गई है। लड़कियों के किरदार एक ही सांचे में ढले नजर आते हैं, जिसे उचित नहीं कहा जा सकता। 
 
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फिल्म क्या कहना चाहती है इसे एक मोनोलॉग से समझा जा सकता है जिसका सार ये है कि 'रिश्वत की शुरुआत महिलाओं ने ही की है क्योंकि वे रिश्वत लेकर ही कुछ देती हैं और लड़के कब तक यह सहते रहेंगे। इससे अच्छा तो ये है कि अपने हाथ से शादी कर ले।' 
 
फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो हंसाते हैं। तीनों लड़कों की ट्यूनिंग जबरदस्त है और उनके साथ वाले दृश्य बेहतरीन बन पड़े हैं। फिल्म के संवाद चुटीले हैं और गुदगुदाते रहते हैं। अपशब्दों का फिल्म में जमकर प्रयोग हुआ है। बीप के जरिये इन्हें म्युट किया गया है लेकिन किरदार क्या बोल रहे हैं ये समझना अत्यंत ही आसान है। 
 
कार्तिक आर्यन, सनी सिंह और ओंकार कपूर की एक्टिंग शानदार है। उन्होंने अपने किरदारों को बारीकी से पकड़ा है। लड़कियों के किरदार नुसरत भरुचा, ईशिता शर्मा और सोनाली सहगल ने निभाए हैं और इनसे जमकर ओवर एक्टिंग कराई गई है। 
 
फिल्म के गाने अति साधारण हैं और ब्रेक के काम आते हैं। तकनीकी रूप से फिल्म ठीक है। 
 
प्यार का पंचनामा 2 के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि ये अपने पहले भाग की तरह ही है, लगभग उसी तरह की कहानी और किरदार, जिससे ताजगी महसूस नहीं होती। हां, जिन्होंने पहला भाग नहीं देखा है उन्हें यह फिल्म ज्यादा मजा देगी। कुल मिलाकर टाइम पास मूवी है।  
 
बैनर : वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स, पैनोरमा स्टुडियोज़ प्रोडक्शन 
निर्माता : अभिषेक पाठक
निर्देशक : लव रंजन
संगीत : हितेश सोनिक, शरीब साबरी, तोषी साबरी
कलाकार : कार्तिक आर्यन, नुसरत भरूचा, सनी सिंह, ओंकार कपूर, सोनाली सहगल, इशिता शर्मा, शरत सक्सेना
सेंसर सर्टिफिकेट : केवल वयस्कों के लिए * 2 घंटे 16 मिनट 15 सेकंड
रेटिंग : 2.5/5 

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