The Night Manager वेबसीरिज रिव्यू: बढ़िया एक्टिंग के सहारे द नाइट मैनेजर बनाती है पकड़

समय ताम्रकर

सोमवार, 20 फ़रवरी 2023 (16:42 IST)
द नाइट मैनेजर इसी नाम से बने ब्रिटिश शो का हिंदी रीमेक है। रीमेक बनाते समय टारगेट ऑडियंस की पसंद के अनुरूप कुछ बदलाव किए जाते हैं। कास्टिंग दमदार होना चाहिए। क्योंकि तुलना सीधे ओरिजनल शो से होती है। अक्सर रीमेक बनाते समय गड़बड़ियां हो जाती हैं, लेकिन द नाइट मैनेजर का हिंदी वर्जन सीधे पहली फ्रेम से पकड़ बना कर रखता है। 
 
यह एक थ्रिलर है जिसमें अवैध रूप से हथियार बेचने वाले का एक गिरोह है जिसके पीछे रॉ के कुछ लोग लगे हैं। गिरोह का सरगना रूंगटा (अनिल कपूर) बेहद शक्तिशाली है और अपने नेटवर्किंग के जरिये वह आसानी से बच निकलता है। एक आम आदमी इस गिरोह में दाखिल होता है और उस पर बड़ी जिम्मेदारी है। 
 
4 एपिसोड में पहला पार्ट है बना और दूसरे पार्ट को जून में देखा जा सकेगा। पहले एपिसोड से ही बहुत कुछ बता दिया गया है। सस्पेंस पर बहुत जोर नहीं दिया है, लेकिन बहुत कुछ ऐसा बाकी है जिसके लिए दूसरे पार्ट का इंतजार करना होगा और यह आसान बात नहीं है। 
 
दरअसल द नाइट मैनेजर अपने प्रस्तुतिकरण और दमदार एक्टिंग से दर्शकों को जोड़ लेता है। श्रीधर राघवन ने भारतीय दर्शकों के अनुसार लोकेशन में बदलाव किया है, भारतीयकरण किया है और अच्छा स्क्रीनप्ले लिखा है। 
 
ढाका से शिमला होते हुए कहानी श्रीलंका पहुंच जाती है लेकिन इस बीच बहुत सारा घटनाक्रम घट जाता है। लगातार उम्दा कैरेक्टर्स आते रहते हैं जो दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। कास्टिंग इतनी उम्दा है कि हर कलाकार अपने रोल में फिट लगता है। 
 
आदित्य रॉय कपूर पहले कभी अपनी एक्टिंग और लुक से इतना प्रभावित नहीं कर पाए जितना वे 'द नाइट मैनेजर' से  करते हैं। इसके बाद अनिल कपूर का किरदार सामने आता है जो आर्म्स डीलर हैं। यह किरदार बहुत खतरनाक है, लेकिन स्क्रीन पर बहुत बुरा नहीं, बल्कि भला आदमी लगता है। पुरानी शराब की तरह अनिल की एक्टिंग निखरती जा रही है।  
 
उसकी गैंग में भी कुछ दिलचस्प किरदार हैं जो शोभिता धुलीपाला और शाश्वत चटर्जी ने अदा किए हैं। रॉ के लिए काम करने वाली लिपिका सईकिया है जिसे तिलोत्तमा शोम ने इतने नैसर्गिक तरीके से अदा किया है कि लगता ही नहीं वे अभिनय कर रही हैं। इन कलाकारों की एक्टिंग और जुगलबंदी इतनी बढ़िया है कि आप स्क्रीन से आंख हटाना नहीं चाहते। 
 
कहानी कुछ लोगों को रूटीन लग सकती है, और है भी, लेकिन संदीप मोदी और प्रियंका घोष का सधा हुआ निर्देशन और कहानी कहने का तरीका रूचि बनाए रखता है। निर्देशक और लेखक ने बहुत बातें उजागर की हैं तो बहुत सारे ट्रैक्स छिपा कर भी रखे हैं। संभव है कि कुछ किरदार जो अभी दबे हुए लग रहे हैं दूसरे पार्ट में उभर कर सामने आए। शान सेनगुप्ता (आदित्य रॉय कपूर) की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में ज्यादा नहीं बताया गया है हो सकता है कि उसके बारे में विस्तृत रूप से सेकंड पार्ट में जानकारी दी जाए।  
 
पार्ट वन इस बात की गहराई में नहीं जाता कि आर्म्स डीलर किस तरह से अशांति का माहौल बना कर हथियार को बेचते रहते हैं, यहां पर कुछ ठोस बातें निकल कर आनी थी। 
 
संदीप और प्रियंका ने बढ़िया लोकेशन्स चुनी हैं और अरबपतियों की लाइफ स्टाइल को ऐसे पेश किया है कि सीरिज का ग्लैमर बढ़ जाता है। एक होटल को कैसे चलाया जाता है इसकी झलक भी शान के किरदार से मिलती है। 
 
सीरिज में बहुत खून-खराबा नहीं है। अपशब्दों से भी दूरी बना कर रखी गई है। हल्के-फुल्के क्षण भी रखे गए हैं खास दौर पर लिपिका का श्रीलंका पहुंचना और उसके कुछ वन लाइनर्स मजेदार हैं। 
 
पूरी कहानी देख ही कहा जा सकता है कि द नाइट मैनेजर देखने लायक है या नहीं, लेकिन पहले पार्ट की बात की जाए तो ये एंगेजिंग हैं। 
 

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