पठान फिल्म के गाने बेशरम रंग में दीपिका पादुकोण द्वारा पहनी गई भगवा रंग की बिकिनी पर आपत्ति लेने वालों को मुंह की खानी पड़ी है क्योंकि बिकिनी का रंग नहीं बदला गया है और सेंसर बोर्ड की इसके लिए सराहना की जा सकती है। पठान से बॉलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान ने बिग स्क्रीन पर 4 वर्ष बाद वापसी की है। वापसी के लिए उन्होंने निर्देशक सिद्धार्थ आनंद को चुना जिनकी पिछली फिल्म 'वॉर' ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी। शाहरुख ऐसी सफलता की उम्मीद पठान से लगाए बैठे हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्ष उनके स्टारडम के लिए बुरे रहे हैं।
सिद्धार्थ आनंद स्टाइलिश और आंखों को सुकून देने वाले सिनेमा बनाते हैं। उनकी फिल्मों के एक्शन सीन में आधुनिकता का पुट रहता है और हीरो-हीरोइन को बहुत ही ग्लैमरस तरीके से वे पेश करते हैं। कहानी और स्क्रिप्ट के मामले में वे उतने अच्छे नहीं हैं, लेकिन 'पठान' के मामले में सुधार दिखाई दिया है।
50 साल से फिल्म बना रहे यश राज फिल्म्स ने 'द स्पाय यूनिवर्स' बनाया है। टाइगर के रूप में सलमान खान और कबीर के रूप में रितिक रोशन के किरदार एक था टाइगर, टाइगर जिंदा है और वॉर के जरिये दर्शकों के सामने आए हैं। इस लिस्ट में शाहरुख खान का किरदार पठान भी जुड़ गया है। ये तीनों भारत को बचाने की मुहिम पर जुटे हुए हैं।
पठान नामक फील्ड एजेंट को उस समय याद किया जाता है जब आउटफिट एक्स नामक खतरनाक आतंकी ग्रुप भारत पर हमले की चेतावनी देता है। यह ग्रुप केवल कांट्रेक्ट बेसिस पर काम करता है और इसका कोई खास एजेंडा नहीं है। इसका लीडर जिम (जॉन अब्राहम) है। पठान को जिम के खतरनाक इरादों को पता लगाने और उसके हमले को नाकाम करने का जवाबदारी सौंपी जाती है। यह अकेला पठान सौ पर भारी है, लेकिन जिम भी उससे कम नहीं है। पठान जब मिशन पर निकलता है तो उसकी मुलाकात पाकिस्तानी एजेंट रुबीना (दीपिका पादुकोण) से होती है। वह भी खास मकसद पर है।
सिद्धार्थ आनंद की कहानी सीधी और सरल है, लेकिन स्क्रीनप्ले राइटर श्रीधर राघवन ने जिस तरह से उसे परतदार बनाया गया है उससे यह फिल्म एंगेजिंग हो गई है। समय-समय पर किरदारों के बारे में जानकारियां दी गई है जिससे फिल्म ज्यादातर समय बांध कर रखती है, जैसे, जिम का भारत से क्या कनेक्शन है, वह इतना खतरनाक आतंकी क्यों बना, पठान को इतना काबिल क्यों माना जाता है, उसने अतीत में क्या मिशन किए थे, इन घटनाक्रमों के सहारे कहानी को आगे बढ़ा गया है।
श्रीधर राघवन ने स्क्रिप्ट में दो-तीन ऐसे उतार-चढ़ाव दिए हैं, जो दर्शकों को चौंकाते हैं। साथ ही सलमान खान की टाइगर के रूप में एंट्री के लिए जो उम्दा सिचुएशन बनाई है उससे सलमान का स्टारडम बढ़ जाता है और उस सिचुएशन में कोई बड़े स्टार की जरूरत महसूस होती है।
इंटरवल तक फिल्म तूफानी रफ्तार से चलती है और बाद में फिल्म का ग्राफ नीचे आता है जो क्लाइमैक्स में जाकर संभलता है। इस दौरान जॉन के खतरनाक इरादों का खुलासा होता है तो दर्शकों को थोड़ी निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि 'वायरस अटैक' वाले फॉर्मूले अब बहुत पुराने लगते हैं और इस पर कई फिल्में भी बन चुकी है।
यहां पर कहानी में कोई नई बात पेश की जाती तो फिल्म का स्तर ऊंचा उठ जाता। साथ ही 'भारत माता' को लेकर जिस तरह से संवाद रखे गए हैं वे आउट ऑफ सिचुएशन लगते हैं। हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी एजेंट का साथ काम करना इसी बैनर द्वारा बनाई गई 'टाइगर' सीरिज की फिल्मों की याद दिलाता है।
मास्को में एक बड़ी चोरी को पठान और रूबीना अंजाम देते हैं वो बहुत ही आसान लगता है। यहां पर रोमांच पैदा करने की पूरी गुंजाइश थी, लेकिन लेखक और निर्देशक वो प्रभाव नहीं पैदा कर पाए।
निर्देशक सिद्धार्थ आनंद का प्रस्तुतिकरण मिशन इम्पॉसिबल से लेकर तो केजीएफ तक से इंस्पायर है। उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों से मिलते-जुलते दृश्य रखे हैं। थोड़े-थोड़े अंतराल में एक्शन सीन रख कर उन्होंने फिल्म को स्पीड दी है। सिद्धार्थ अपने हीरो-हीरोइन को बेहद खूबसूरती और स्टाइलिश तरीके से पेश करते हैं और पठान में भी यह काम उन्होंने शानदार तरीके से किया। दीपिका तो बेहद आकर्षक लगी ही हैं, जॉन अब्राहम और शाहरुख खान भी अपनी बॉडी दिखाते नजर आए हैं।
अपनी फिल्मों को वे खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माने के लिए भी जाने जाते हैं और पठान को स्पेन, साइबेरिया, दुबई, रशिया, फ्रांस सहित कई देशों में फिल्माया गया है।
सिनेमा के नाम पर सिद्धार्थ ने छूट भी खूब ली है और कुछ दृश्यों में सीमा भी पार कर गए हैं, लेकिन एक्शन सीन इतने स्टाइलिश हैं कि दर्शक इन बातों को इग्नोर कर सकते हैं। एक्शन दृश्यों में आधुनिक हथियारों के साथ कार, बाइक, हेलिकॉप्टर का शानदार इस्तेमाल है। इससे भी मन नहीं भरे तो शाहरुख और जॉन पंख लगाकर उड़ते हुए फाइट करते हैं।
स्क्रिप्ट की कमियों को सिद्धार्थ आनंद ने अपने एक्शन सीक्वेंस से पूरा किया है। चूंकि पठान को एक्शन फिल्म के रूप में डिजाइन किया गया है और ये इसकी यूएसपी भी है इसलिए एक्शन जॉनर को पसंद करने वालों को यह फिल्म अच्छी लगती है।
शाहरुख खान ने अपने कैरेक्टर को संयत तरीके से निभाया है, उन्होंने उसे उभारने में बहुत ज्यादा कोशिश नहीं की है इसलिए वे अच्छे लगते हैं और साथ ही दूसरे कैरेक्टर्स को भी फिल्म में उभरने का मौका मिलता है। एक्शन सीक्वेंसेस में वे शानदार रहे हैं और एक्शन अवतार में आकर उन्होंने अपने फैंस को खुश किया है।
दीपिका पादुकोण बेहद ग्लैमरस और खूबसूरत लगी हैं। उन्हें एक्टिंग के, एक्शन के और डांस के निर्देशक ने भरपूर मौके दिए हैं और इसका उन्होंने पूरा फायदा उठाया है। शाहरुख खान के साथ उनकी जोड़ी हमेशा से ही अच्छी लगती आई है।
निगेटिव किरदार में जॉन अब्राहम एक्टिंग से ज्यादा अपने लुक्स और शख्सियत से असर छोड़ते हैं। रोल तो उन्हें अमरीश पुरी जैसा मिला है, लेकिन अमरीश पुरी जैसी एक्टिंग वो नहीं कर पाए। एक्शन सीक्वेंस में उन्होंने शाहरुख खान को जोरदार टक्कर दी है। डिम्पल कपाड़िया और आशुतोष राणा एक्टिंग के अनुभवी खिलाड़ी हैं और इस तरह के रोल निभाना उनके लिए कठिन नहीं था। सलमान खान की जोरदार एंट्री और उनका छोटा सा रोल गहरा असर छोड़ता है।
एक्शन फिल्म में एक्शन डायरेक्र्ट्स का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। केसी ओ'नील, क्रेग मैक्रे और सुनील रोड्रिग्स का काम तारीफ के काबिल है। उनके द्वारा डायरेक्ट एक्शन सीन्स भव्य लगते हैं और सफाई भी नजर आती है।
सैचित पौलोस की सिनेमाटोग्राफी फिल्म को भव्यता देती है। विशाल शेखर द्वारा संगीतबद्ध दोनों गाने उम्दा हैं और वैभवी मर्चेण्ट तथा बोस्को सीज़र की कोरियोग्राफी गानों को बार-बार देखने लायक बनाती है। अब्बास टायरवाला के संवाद और अच्छे हो सकते थे। निर्माता के रूप में आदित्य चोपड़ा ने कहीं भी कंजूसी नहीं दिखाई है।
पठान की कहानी रूटीन जरूर है, लेकिन उसे पेश करने का तरीका ही फिल्म को खास बनाता है।
निर्माता : आदित्य चोपड़ा
निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद
संगीत : विशाल-शेखर
कलाकार : शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम, डिम्पल कपाड़िया, आशुतोष राणा, सलमान खान (कैमियो)