गौतम बुद्ध को अपने कई जन्मों की स्मृतियां थीं और यह भी कि वे अपने भिक्षुओं के भी कई जन्मों को जानते थे। यही नहीं वे अपने आसपास के पशु, पक्षी और पेड़-पौधे आदि के पूर्वजन्मों के बारे में भी भिक्षुओं को बता देते थे। जातक कथाओं में गौतम बुद्ध के लगभग 549 पूर्व जन्मों का वर्णन मिलता है।
3. कुल जातक कथाएं 103 हैं। सांची के स्तूपों में, जिनका निर्माण तीसरी शताब्दी ई. पूर्व में हुआ था, जातक कथाएं अंकित हैं।
5. मथुरा के इतिहास और गुरुकुल कांगड़ी के आचार्य रामदेवजी के निश्चय के अनुसार गौतम बुद्ध काल 1760 विपू से 1680 विपू है तथा उनका मथुरा आगमन काल 1710 विपू है। यह निर्धारण बुद्ध ग्रंथ महावश, जैन ग्रंथ स्थाविरावली, हरवंश, विष्णु भागवत आदि पुराणों के आधार पर है। इसका मतलब 1702 ईसा पूर्व बुद्ध का जन्म हुआ था?
6. भगवान बुद्ध ने सिद्धार्थ के रूप में जब जन्म लिया, उसके पहले वे बहुत से जन्म ले चुके थे। कहते हैं कि इन्होंने इसके पहले तपस्वी, राजा, वृक्ष, देवता, सिंह, हाथी, घोड़ा, गीदड़, भैंसा, कुत्ता, बंदर, मछली, सूअर आदि के कितने ही जन्म लिए थे।
8. जातक कथाएं महाभारत, पंचतंत्र, पुराण और गैर बौद्ध भारतीय साहित्य की कथाओं के समान हैं। इनमें से कुछ कथाएं बहुत जगप्रसिद्ध हैं। इनका प्रचार संसार के कोने-कोने में हुआ है।
9. इन जातक कथाओं की तर्ज पर ही ईसप की कथाएं, अरब की कथाएं आदि लिखी गईं। इसके अलावा भी दुनिया के तमाम कथा साहित्य में इन कथाओं का प्रभाव स्वत: ही देखने को मिल जाएगा। ईसप की कहानियों का मूल जातक कथाएं, पंचतंत्र और हितोपदेश ही हैं।