करोड़ों आयकरदाताओं की इच्छा है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी सोमवार को पेश होने वाले आम बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाने की घोषणा करें। अब उनकी इस चाह को पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा का भी समर्थन मिल गया।
पूर्व वित्त मंत्री चाहते हैं कि सरकार महँगाई खासकर खाद्य वस्तुओं और ईंधन की उँची कीमतों से परेशान आम लोगों को कुछ राहत प्रदान करे। सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्री को प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता के कुछ प्रावधानों मसलन आयकर छूट की सीमा को इसी बजट में लागू करना चाहिए।
देश में आयकर दाताओं की कुल संख्या चार करोड़ के आसपास है। अभी पुरुषों के लिए आयकर छूट की सीमा 1.60 लाख रुपए तथा महिलाओं के लिए 1.90 लाख रुपए है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर छूट की सीमा 2.40 लाख रुपए है।
सिन्हा ने कहा कि प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता के अनुरूप आयकर छूट की न्यूनतम सीमा दो लाख रुपए की जानी चाहिए। फिलहाल सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति डीटीसी की समीक्षा कर रही है।
सिन्हा ने मानक कटौती की सुविधा को फिर से बहाल किए जाने की भी वकालत की है। वेतनभोगियों को अपनी आमदनी में से एक निश्चित राशि कम कर शेष पर आयकर देना होता था। पर सरकार ने 2006 से मानक कटौती की सुविधा को वापस ले लिया था।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि महँगाई को देखते हुए मानक कटौती के प्रावधान को फिर से बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बचत पर कर प्रोत्साहन का दायरा भी बढ़ाया जाना चाहिए। फिलहाल कुल करयोग्य आय में से एक लाख रुपए की बचत की कटौती की जा सकती है। इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड्स में 20,000 रुपए तक के निवेश को भी घटाया जा सकता है।
पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि बचत पर आयकर छूट का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि आवास ऋण पर किए गए ब्याज भुगतान को कर योग्य आमदनी में से घटाने की सीमा में भी इजाफा होना चाहिए। फिलहाल यह सीमा डेढ़ लाख रुपए तक है। (भाषा)