छोटे कारोबारियों और पेशेवर सेवाएँ देने वालों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इस बार के बजट में उन्हें कारोबार की सालाना ऑडिट शर्तों में कुछ और ढील देने के साथ-साथ कर भुगतान के मामले में नई सुविधाओं की घोषणा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि कारोबारियों एवं छोटे उद्यमियों को 60 लाख रुपए और विभिन्न पेशेवरों को 15 लाख रुपए के सालाना कारोबार पर अपने खातों का अनिवार्य ऑडिट कराने से छूट मिली है। उद्योग जगत के लोगों और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बजट में यह सीमा कारोबारियों के लिये एक करोड़ और पेशेवरों के लिए 25 लाख रुपए कर दी जाएगी। उनका मानना है कि उनके लिए कर भुगतान की भी एकमुश्त राशि तय होनी चाहिए।
पीएचडी मंडल के अध्यक्ष सलिल भंडारी ने इसकी वकालत करते हुए कहा कि छोटे उद्यमियों और व्यावसायियों को कागजी कारवाई से दूर रखा जाना चाहिए। उन्हें लेखा बही और ऑडिट के झंझट से मुक्त रखा जाना चाहिए। अनिवार्य ऑडिट से छूट सीमा को 60 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया जाना चाहिए।
कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया तो इस सीमा को बढ़ाकर दो करोड़ रुपए करने के पक्ष में हैं।
उन्होंने बातचीत में कहा कि व्यापारियों को व्यापार करने देना चाहिए, उन्हें बही खाते के झंझट में फँसाना ठीक नहीं, ऑडिट आदि कराने का खर्च काफी बढ़ गया है, पेशेवर काफी महँगे हो गए हैं ऐसे में व्यापारियों के दो करोड़ रुपए तक के कारोबार को ऑडिट से मुकत रखा जाना चाहिए, इससे उनकी कारोबारी लागत कम होगी।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) के आर्थिक सलाहकार अंजन राय ने भी कहा कि लगातार उच्चस्तर पर बनी महँगाई की स्थिति को देखते हुए यह सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके साथ ही इन वर्गों को कर मामले में भी अनुमानित कर भुगतान की सुविधा को जारी रखा जाना चाहिए।
फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने अनिवार्य ऑडिट की सीमा बढ़ाए जाने का समर्थन करते हुए कहा कि इसके साथ ही सरकार को छोटा-मोटा कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए एकमुश्त कर भुगतान की सुविधा भी फिर से शुरू करनी चाहिए।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले बजट में ही छोटे व्यावसायियों के लिए ऑडिट छूट सीमा 40 लाख से बढ़ाकर 60 लाख रुपए कर दी थी। वहीं पेशेवरों के मामले में इसे 10 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दिया गया था। (भाषा)