वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी महँगाई से राहत देने और पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सोमवार को आम बजट में वेतनभोगियों को कर में छूट और किसानों को प्रोत्साहनों की पेशकश कर सकते हैं।
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बजट में आयकर छूट की सीमा मौजूदा 1.60 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.80 लाख रुपए की जाएगी।
वित्त मंत्रालय प्रत्यक्ष कर संहिता में छूट सीमा बढ़ाकर सालाना दो लाख रुपए करने की प्रतिबद्धता पहले की जता चुका है। डीटीसी को अप्रैल, 2012 से लागू किए जाने का प्रस्ताव है।
मुखर्जी करमुक्त ढाँचागत बॉन्डों में निवेश के लिए कर छूट की सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर सकते हैं, जिससे नकदी संकट की कमी झेल रहे इस क्षेत्र को प्रोत्साहन मिल सके। अभी ढांचागत बांडों में 20,000 रुपए तक के निवेश को कर छूट का लाभ मिलता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजकोषीय घाटा कम होकर 4.8 प्रतिशत पर आने के अनुमान को देखते हुए वित्त मंत्री के पास ये कर रियायतें उपलब्ध कराने की गुंजाइश है।
वर्ष 2011-12 के लिए आर्थिक समीक्षा में राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है जो चालू वित्त वर्ष के लिए 5.5 प्रतिशत से कम है।
पाँच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुदुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह संभावना बहुत कम है कि मुखर्जी प्रोत्साहन पैकेज को पूरी तरह से वापस ले लें और सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए कड़े कदम उठाएँ। मुखर्जी के लगातार तीसरे बजट में कृषि क्षेत्र के लिए ऋण का प्रवाह बढ़ाए जाने की भी उम्मीद की जा रही है।
कर ढाँचे को तर्कसंगत बनाने पर मुखर्जी ने हाल ही में कहा था कि कर ढाँचे को तर्कसंगत बनाने, कर प्रशासन में सुधार और आयकर विभाग के कर्मचारियों के सतत प्रयास की वजह से ही सतत आर्थिक वृद्धि दर संभव हो सकी।
कर छूट की सीमा बढ़ाने से भले ही सरकारी राजस्व में कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन मुखर्जी को उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी से केन्द्र के खजाने में और धन आएगा। (भाषा)