मनीष उपाध्याय, इंदौर हाल के महीनों में महँगाई ने सबसे ज्यादा निम्न मध्यमवर्गीय वेतनभोगी को परेशान किया है। उनकी बचत खत्म या कम हो गई और बढ़ते खर्चों ने परेशान कर दिया है। ऐसे में वित्त मंत्री को बजट में आयकर की सीमा और स्लैब में बढ़ोतरी कर वेतनभोगी आयकरदाता को राहत देना चाहिए।
खाद्य पदार्थों के साथ-साथ जरूरी चीजों की कीमतों में ब़ढ़ोतरी ने आम वेतनभोगी करदाता को सबसे ज्यादा परेशान किया है। ऐसे में 1.60 लाख रुपए (पुरुष आयकरदाता) की आयकर सीमा कुछ भी नहीं रह गई है। महँगाई के इस दौर में 4 लोगों के आदर्श परिवार में आयकर चुकाने के बाद ज्यादा कुछ नहीं बच पा रहा है।
बढ़ाई जाए आयकर सीमा
* नई प्रत्यक्ष कर संहिता के अनुसार व्यक्तिगत आयकरदाता (पुरुष) की आयकर सीमा 1 अप्रैल 2012 से 2 लाख रुपए करना प्रस्तावित है। सरकार इसी बजट में इसे घोषित कर एक साल पहले से ही राहत दे सकती है। * महिला आयकरदाताओं की वर्तमान सीमा 1.90 रुपए से बढ़ाकर 2.30 रुपए की जा सकती है। * वरिष्ठ नागरिक आयकरदाताओं की आयकर सीमा को 2.80 लाख दर दिया जाना चाहिए। वर्तमान में यह 2.40 लाख है।
क्यों है जरूरी सीमा बढ़ाना
* भारत की अर्थव्यवस्था को खपत आधारित बनाना जरूरी है, क्योंकि इससे रोजगार और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। * खपत बढ़ाने के लिए लोगों के पास खर्च करने योग्य पैसा हो। * सीमा बढ़ने से कुछ लोग स्वतः रिटर्न भरने की झंझट से मुक्त हो जाएँगे।
सीए व हाईकोर्ट एडवोकेट आशीष गोयल ने कहा कि जिस तरह से महँगाई बढ़ती जा रही है, ऐसे में वेतनभोगी की बचत घटती जा रही है। हमारे कई क्लाइंट्स इस बारे में शिकायत लेकर आते हैं। ऐसे में इस वर्ग के लोगों की आयकर सीमा ब़ढ़ाना जरूरी हो गया है।
मेडिकल कॉलेज के रिटा. प्रोफेसर डॉ. सैफी रामपुरावाला का मानना है कि वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा की सुविधाओं के अभाव के कारण वेतनभोगी और महिलाओं के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों की आयकर सीमा बढ़ाई जाना चाहिए।