नई दिल्ली। आर्थिक वृद्धि एवं वित्तीय प्रबंधन में संतुलन को लेकर जारी चर्चा के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के तय रास्ते पर डटे रहे। वर्ष 2016-17 के बजट में उन्होंने राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत पर रखे जाने का प्रस्ताव किया है।
उन्होंने यह भी कहा है कि विकास एजेंडे के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा और राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की जाएगी। राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 3.9 प्रतिशत अनुमानित है जिसे अगले वित्त वर्ष में कम कर 3.5 प्रतिशत पर लाया जाएगा।
जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि ऐसा करते समय मैंने यह सुनिश्चित किया है कि विकास एजेंडे के साथ कोई समझौता नहीं हो। अगले वित्त वर्ष में कुल सरकारी खर्च 19.78 लाख करोड़ रुपए होगा। इसमें 5.50 लाख करोड़ रुपए योजना व्यय तथा अन्य 14.28 लाख करोड़ रुपए गैर-योजना व्यय में खर्च होंगे। चालू वित्त वर्ष में राजस्व घाटा बेहतर रहने का अनुमान है और यह जीडीपी का 2.5 प्रतिशत रह सकता है जबकि बजटीय लक्ष्य 2.8 प्रतिशत था।
जेटली ने आगे कहा कि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता तथा उतार-चढ़ाव को देखते हुए एफआरबीएम कानून की समीक्षा के लिए समय आ गया है। वित्तमंत्री ने कहा कि एफआरबीएम के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार योजना एवं गैर-योजना व्यय के बीच अंतर को समाप्त करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी। पिछले साल जेटली ने सार्वजनिक निवेश बढ़ाकर बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए राजकोषीय मजबूती की रूपरेखा के क्रियान्वयन में विलंब किया।
पिछले बजट में घोषित राजकोषीय घाटे की रूपरेखा के तहत चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा कम करके 3.9 प्रतिशत तथा 2016-17 में 3.5 प्रतिशत पर लाया जाएगा। घाटे को 2017-18 में कम कर 3.0 प्रतिशत पर लाने की रूपरेखा तय की गई है।
इससे पहले राजकोषीय मजबूती के लिए पूर्व निर्धारित योजना के तहत वर्ष 2016-17 तक ही घाटे को कम कर 3.0 प्रतिशत तक लाया जाना था। नए कार्यक्रम में यह अवधि 2017-18 कर दी गई। (भाषा)