किसी भी बीमार व्यक्ति की सेवा नर्स जिस निष्ठा, आत्मीयता, त्याग और समर्पण के साथ सहजता से करती है, वैसी तो शायद परिवार का सदस्य भी न करे। मरीज को नकारात्मक सोच निकालकर उसे एक नया जीवन देने में नर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वैसे तो यह क्षेत्र महिलाओं को ज्यादा बेहतर अवसर उपलब्ध कराता है पर वर्तमान में पुरुष भी इस क्षेत्र में मेल नर्सों के रूप में करियर बना रहे हैं। पिछले दो वर्षों में मेल नर्सों की संख्या बढ़ी है। दक्षिण भारत और राजस्थान में मेल नर्सेंस की संख्या अधिक है। नई तकनीक और शिक्षा के जरिए नर्सिंग के करियर को और बेहतर बनाया जा रहा है।
नर्सिंग के क्षेत्र में कई प्रकार के पाठ्यक्रम कराए जाते हैं। बीएससी (नर्सिंग) कोर्स के प्रति युवतियों में विशेष आकर्षण रहता है। बीएससी (नर्सिंग) पाठ्यक्रम चार वर्ष की अवधि का होता है।
इसमें प्रवेश हेतु इंटरमीडिएट अथवा 10+2 परीक्षा भौतिकी, रसायन, अंग्रेजी, जीव विज्ञान विषय सहित उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। 10+2 अथवा इंटरमीडिएट परीक्षा में कम-से-कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए।
नर्सिंग कॉलेजों के स्टूडेंट को स्कॉलरशिप भी मिलती है। जो युवतियां नर्सिंग के क्षेत्र में अध्यापन को करियर बनाना चाहती हैं, बीएससी (नर्सिंग) करने के पश्चात एमएससी (नर्सिंग) कर सकती हैं, जो दो वर्ष का पाठ्यक्रम है।
नर्सों को मरीजों की देखभाल के साथ नित नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरकारी अस्पताल की नर्सों को सेवा के साथ सरकारी योजनाओं में भी काम करना पड़ता है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में अवसर अधिक होने से यह युवाओं का पसंदीदा करियर बनता जा रहा है।