समाचार पत्र, पत्रिका, टी.वी., रेडियो, फिल्म और न जाने कहाँ-कहाँ, हर क्षेत्र में विज्ञापन (एडवरटीजमेंट) छाया हुआ है। मीडिया जगत में, चाहे वह प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी एडवरटाइजिंग के बल पर टिके हुए हैं। किसी भी उत्पाद को सफल बनाने तथा बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता पड़ती है, विज्ञापन के क्षेत्र में कदम रखने से पहले यह जरूर तय कर लें कि आप इसके लिए सक्षम हैं या नहीं।
सच्चाई यह है कि कंपनियाँ अपने लिए दूसरों से कुछ अलग चाहती हैं। कंपनियों को हमेशा ऐसा विज्ञापन चाहिए जो बाजार में अपनी पैठ लंबे समय तक जमा सके तथा ब्रांड जल्द से जल्द हिट हो जाए, एक हकीकत यह भी है कि पहले से ही स्थापित कंपनियों को अपने नए उत्पाद लॉन्च करने और मशहूर बनाने में अधिक परेशानी नहीं होती।
हालाँकि जो नई कंपनियां बाजार में आती हैं, उन्हें काफी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। दरअसल, सबसे पहले इन्हें ग्राहकों के बीच अपना विश्वास बहाल करना होता है। ऐसे में आपकी यह जिम्मेदारी होगी कि आप उनके ब्रांड को बाजार में चलाने में मदद करें। अगर आप रचनात्मक सोच रखते हैं तो ये कंपनियां आपका स्वागत करती हैं।
इस इंडस्ट्री में जबर्दस्त उछाल देखने को मिला है। 1992 में जहाँ यह उद्योग मात्र 1800 करोड़ रुपए का था वहीं पिछले 10 सालों में यह लगभग बीस हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का हो चुका है। पिछले कुछ सालों में ये 20 प्रतिशत प्रति वर्ष से अधिक की विकास दर बनाए हुए है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में इसकी गति और तेज होने की संभावना है।
एडवरटीजमेंट उद्योग हर साल नई ऊंचाइयों को छूएगा। एडवरटीजमेंट उद्योग में अधिक सफल होने के लिए सैद्धांतिक ज्ञान के अलावा कड़ी मेहनत भी चाहिए। हो सकता है, आपको कई दिनों तक लगातार काम करना पड़े। ऐसे में काम का दबाव अधिक हो सकता है लेकिन घबराएँ नहीं, तनाव के बाद भी काम का अपना अलग मजा है।
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यदि इस क्षेत्र में योग्यता की बात करें तो बारहवीं पास छात्र एडवरटीजमेंट का कोर्स कर सकता है पर कुछ इंस्टिट्यूट में इसकी योग्यता ग्रेजुएशन रखी गई है। एडवरटीजमेंट उद्योग काफी विस्तृत है इसे कई भागों में विभाजित किया गया है। जैसे अकाउंट्स प्लानिंग, मीडिया प्लानिंग, क्रिएटिव टीम, क्लाइंट सर्विसिंग, कॉपी डिपार्टमेंट, फोटोग्राफी आदि।
मीडिया प्लानिंगः मीडिया से संभावित काम मीडिया प्लानर के होते हैं। अपने ग्राहकों तक बात पहुंचाने के लिए मीडिया का कौन सा माध्यम सबसे उपयुक्त होगा। ये सब निर्णय इस विभाग के ही होते हैं। इसके लिए अकाउंट्स प्लानर और क्रिएटिव टीम के साथ मिलकर निर्णय लेते हैं। ये विभिन्न एडवरटाइजिंग एजेंसी को भी सलाह देते हैं।
अकाउंट्स प्लानिंगः किसी कंपनी का कितना ध्यान एडवरटाइज पर खर्च होगा, कौन सा मीडियम या मीडिया फायदेमंद हो सकता है, इन सभी बातों का निर्णय प्लानिंग वाले क्रिएटिव टीम के साथ मिलकर लेते हैं।
क्लाइंट सर्विसिंगः इसका कार्य क्लाइंट और क्रिएटिव का बीच सेतु का होता हैं। क्लाइंट को किस तरह एडवरटाइज चाहिए और उसे कहां से अधिक फायदा मिल सकता है, ये सारा कार्य इसी विभाग में होता है।
इस नौकरी में सफल होने के लिए कम्यूनिकेशन स्किल अच्छा होना चाहिए। हिंदी, अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। क्योंकि इंटरनेशनल क्लाइंट अगर चाहिए तो अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ जरूरी है।