कृषिप्रधान देश होने के बावजूद युवाओं की करियर प्राथमिकता सूची में कृषि या इससे संबद्ध विभिन्न क्षेत्रों का कोई स्थान प्रायः नहीं देखने को मिलता है। निस्संदेह इसे विडंबना के अतिरिक्त कुछ और नहीं कहा जा सकता है। इस प्रकार की स्थिति के लिए अंग्रेजदां के साथ शहरी सोच के हावी होने को भी बहुत हद तक उत्तरदायी ठहराया जा सकता है लेकिन कृषि से जुड़े विभिन्न पेशों का जिस तेजी से विकास हो रहा है और उनमें रोजगार संभावनाएं बढ़ रही हैं, वह वाकई काबिलेतारीफ है।
उदाहरण के लिए बात करते हैं डेरी उद्योग की। आबादी के बड़े हिस्से को यह जानकारी नहीं होगी कि वर्ष 2011 तक डेरी उद्योग का कारोबार सवा पाँच लाख करोड़ रुपए से कहीं आगे निकल चुका होगा। जबकि मात्र चंद वर्षों पूर्व यानी वर्ष 2005 में यह कारोबार लगभग सवा दो लाख करोड़ रुपए के बराबर हुआ करता था। इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लाखों लोगों को आजीविका का जरिया मिला हुआ है।
अगर विशेषज्ञों की बात और चालू ट्रेंड पर गौर किया जाए तो आने वाले वर्षों में विदेशी और जिन क्षेत्र की कंपनियों द्वारा भारी पैमाने पर निवेश की योजनाओं के कारण न सिर्फ कारोबार में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है बल्कि अतिरिक्त रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।
डेरी उद्योग से आशय अब महज दुधारू पशुओं का पालन अथवा इनके दूध की बिक्री तक सीमित नहीं रह गया है। दूध से तैयार प्रसंस्कृत उत्पादों की लंबी श्रृंखला की इसमें भूमिका तेजी से निरंतर बढ़ रही है। इन उत्पादों में खोया, मक्खन, पनीर, दही, आइसक्रीम चॉकलेट्स, बेबी फूड, स्किम्ड मिल्क, लस्सी, घी, छैना तथा अन्य प्रकार के डिब्बाबंद प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का जिक्र किया जा सकता है।
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के अलावा जीवन स्तर में बढ़ोतरी के कारण अब ऐसे उत्पादों की खपत में गत वर्षों की तुलना में बहुत तेजी आई है। अन्य विविध विद्याओं की भांति डेरी उद्योग में भी कई प्रकार के विशिष्ट कार्यक्षेत्र हैं जिनसे संबंधित ट्रेनिंग कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य डेरी प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध है। इनमें पशु चिकित्सा, फूड टेक्नोलॉजी, डेरी प्लांट इंजीनियरिंग, डेरी मैनेजमेंट, डेरी प्रोडक्ट प्रोसेसिंग, टीचिंग सरीखे तमाम प्रोफेशन का जिक्र किया जा सकता है।
देश भर में फैले 22 स्टेट को-ऑपरेटिव डेरी फेडरेशन के 400 डेरी प्लांटों और 70000 से ज्यादा डेरी को-ऑपरेटिव में इन पेशेवरों की जरूरत पड़ती है। इनके अलावा मिल्क प्रोसेसिंग और इनसे नए-नए आहार तैयार करने वाली कंपनियों में भी इनके लिए पर्याप्त संभावनाएँ हैं।