देश के 1600 से अधिक बिजनेस स्कूलों में दो वर्षीय एमबीए कोर्स चलाए जा रहे हैं। इन बिजनेस स्कूलों के लीडर आईआईएम में एडमिशन के लिए कॉमन एडमिशन टेस्ट (केट) क्लीयर करना इम्पॉर्टेंट हैं। लेकिन केट में एपियर होने वाले स्टूडेंट्स की शिकायत यह होती है कि उन्हें केट की एग्जाम का पैटर्न पता नहीं होने से मुश्किल आती है और यह कठिन एग्जाम उनके लिए और भी मुश्किल बन जाती है।
एक अनार सौ बीमार केट की एग्जाम के लिए 'एक अनार सौ बीमार' वाली कहावत बाकायदा चरितार्थ होती है, क्योंकि इसकी 1500 सीटों के लिए लगभग ढाई लाख स्टूडेंट्स में भारी कॉम्पीटिशन होती है और बमुश्किल एक प्रतिशत स्टूडेंट्स ही केट क्लीयर कर पाते हैं। इसे दुनिया के किसी भी ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। केट में शामिल होने वालों को अंकगणित, बीजगणित, सांख्यिकी, डाटा इंटरप्रिटेशन, लॉजिकल रिजोनिंग, कॉम्प्लेक्स पझल साल्विंग तथा इंग्लिश लेंग्वेज का मास्टर होना चाहिए।
पैटर्न केट का केट को स्पीड के आधार पर सिम्पल टेस्ट द्वारा डेवलप किया गया है। इसे सॉल्व करने के लिए केवल स्पीड की ही जरूरत नहीं होती, बल्कि कंसेप्ट और बेसिक एलिमेंट्स के बारे में भी प्रोफिशिएंसी की आवश्यकता है। पहले केट में 180 प्रश्न पूछे जाते थे, जिन्हें 2 घंटे में सॉल्व करना होता था।
इस तरह के पेपर के लिए कट ऑफ प्राप्त करने के लिए आवश्यक मिनिमम अंक तीन भागों गणित, इंग्लिश डाटा इंटरप्रिटेशन और लॉजिक 20 अंक प्रतिमान हुआ करता था। केट 2001-02 और 2003 में 50-50 मार्क्स वाले तीन पार्ट्स वाले पेपर थे, जिसमें प्रति सेक्शन कट ऑफ मार्क्स 15 तथा पूरे पेपर के लिए कट ऑफ मार्क्स 55 था। 2004 में पहली बार आईआईएम में डिफेंशियल मार्किंग की कंसेप्ट का प्रयोग किया गया था। इसमें कुल 123 प्रश्न थे, जिसमें अँगरेजी के 50, गणित के 35 तथा डाटा इंटरप्रिटेशन और लाजिकर रिजोनिंग के 38 प्रश्न थे।
केट 2005 में कुल 90 प्रश्न थे। अर्थात प्रत्येक सेक्शन के सब सेक्शन थे, जिनमें अलग-अलग प्राप्तांक वाले प्रश्न पूछे थे। 19 नवंबर 2006 को आयोजित केट परीक्षा की अवधि दो घंटे से बढ़ाकर ढाई घंटे कर दी गई। इसमें 75 प्रश्न पूछे गए थे। प्रत्येक सेक्शन में 4-4 अंकों वाले 25-25 प्रश्नों को शामिल किया गया था। इसका कुल प्राप्तांक 300 था। इसमें प्रत्येग गलत उत्तर पर 1 मार्क की पेनल्टी रखी गई थी।
यह पेपर पिछले पेपर्स से इसलिए भी अलग था, क्योंकि इसमें आमतौर पर दिए जाने वाले उत्तरों के 4 के बजाए 5 ऑप्शन दिए गए थे। पिछले साल 18 नवंबर 2007 को केट आयोजित हुई थी। इसमें तीनों सेक्शन में 25-25 प्रश्न पूछे गए थे। प्रत्येक प्रश्न का गलत उत्तर देने पर 1 निगेटिव मार्क था अर्थात यदि कोई स्टूडेंट एक प्रश्न का उत्तर गलत देता है तो उसे 4-1 कुल 5 मार्क्स का नुकसान उठाना पड़ता है।
इसलिए इस साल 16 नवंबर को आयोजित परीक्षा का पैटर्न भी लगभग ऐसा ही होगा। इसलिए केट के एस्पिरेंट्स को चाहिए कि वे केवल सही प्रश्न ही सॉल्व करें और केट क्लीयर करें। हमारी शुभकामना उनके साथ हैं।