-पद्मा राजेन्द्र दुनिया का तेजी से होता व्यवसायीकरण नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। ऐसे में कार्पोरेट सेक्टर में सफलता हेतु कार्पोरेट कल्चर का ज्ञान होना भी आवश्यक है।
आइए, हम आपको सिखाते हैं, इस कल्चर से जुड़े कुछ गुर...
* व्यापार-व्यवसाय अस्पष्ट सफलताओं और असफलताओं का मिश्रण है। लेकिन आप उन सब को सफलता की ही संज्ञा दें।
* वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्म विश्वास बनाकर रखें।
* अपने सभी कार्यों का लेखा-जोखा रखे। कोई भी कभी अवश्य पूछ बैठेगा।
* अपने वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष कोई समस्या बिना किसी समाधान के न ले जाएँ।
* देर तक कार्य करना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्व परिणाम का है, प्रयास का नहीं।
* मन में जो विचार आएँ उन्हें लिख लें। विचार भी बढ़िया किस्म की कलमों की तरह हैं जो खो जाती हैं।
* काम पर अपने वरिष्ठ अधिकारी से आधा घंटा पहले पहुँचे।
* नौकरी की तलाश में लगे लोगों की सहायता कीजिए। जैसा आप औरों के साथ करेंगे, वैसा ही आप के साथ भी होगा।
* कोई बैठक हो तो मेज पर टिक कर बैठें, दीवार से सटकर नहीं।
* बीमारी की छुट्टियाँ तभी लीजिए जब आप वास्तव में बीमार हों।
* यह मान कर चलिए कि कोई भी रहस्य पचा नहीं सकता है और न ही पचाएगा।
* यह जानिए कि आप कब सबसे अधिक कार्य कुशल अनुभव करते हैं- प्रातः, रात्रि को, दबाव में या विश्राम की स्थिति में। अपने कार्य का बँटवारा इसे ध्यान में रखकर करें।
* कार्यालय में काम आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ सम्मान और आदर से पेश आएँ, चाहे वह चौकीदार हो अथवा अध्यक्ष। स्वयं को बड़ा सिद्ध करने का प्रयास कभी न करें।
* किसी ग्राहक अथवा अपने अधिकारी के समक्ष परेशान न दिखें। लंबी साँस खींचे और स्वयं से पूछें कि जीवन की घटनाओं में क्या महत्वपूर्ण है।
* किसी दूसरे के योगदान को उचित श्रेय देना आपके लिए दोगुना श्रेयस्कर होगा।
* व्यावसायिक जीवन की योजना बनाना निरर्थक है। प्रायः देखा यह गया है कि अत्यंत रोमांचक अवसर अकस्मात ही हाथ आते हैं।
* सदैव वह काम करने की सोचिए जो आप अब से दस वर्ष बाद भी याद कर सकें।
* आपके कार्यालय का आकार इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना आप की आय का परिमाण।
* यह जानिए कि कार्य का पूर्ण होना कैसा लगता है और कार्य पूरा निबट जाने पर ही उसे लोगों के सामने लाएँ।
* वह व्यक्ति जो हर वक्त काम करता रहता है, परिश्रमी नहीं, उबाऊ है।
* अपने व्यवसाय से संबंधित पत्र लिखना सीखिए। इनमें धन्यवाद के पत्रों के साथ प्रस्ताव संबंधी पत्र भी शामिल हैं।
* अपराध भाव से बचें। कभी भी व्यय संबंधी रिपोर्टों, कर अदायगी, लाभांश आदि के मामले में हेराफेरी न करें और सहयोगियों के साथ धोखाधड़ी से भी बाज आएँ।
* पुनर्गठन का अर्थ है किसी न किसी की नौकरी जाना। अतः उन लोगों से संपर्क रखें जिनके सुझाव पर अमल किया जाएगा।
* समझ लें कि सुरक्षित नौकरी जैसी कोई चीज नहीं होती है। आपके पास सदैव इस प्रश्न का उत्तर होना चाहिए, 'यदि कल मेरी नौकरी छूट जाती है तो मैं क्या करूँगा/ करूँगी।
* कभी-कभी आप जो भी कुछ करते हैं उसमें सफल होते जाते हैं, ऐसे समय का अधिक लाभ उठाएँ। इसके विपरीत समय आए तो हताश न हों।
* कभी भी जीवन में यह न कहें, यह मेरा काम नहीं है।
* उन कलाओं और योग्यताओं की पहचान करें जो आपको औरों से अलग करती हैं। जब भी अवसर मिले उन्हें इस्तेमाल करें।