पेट्रोलियम उद्योग से जुड़े कार्य

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पेट्रोलियम उद्योग का कार्य क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। आपके हाथों तक पेट्रोलियम उत्पाद पहुँचने तक इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को कई काम करना होते हैं। तेल उद्योग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नानुसार हैं-

एक्सप्लोरेशन अथवा खोज
इसमें किसी भी क्षेत्र में पेट्रोलियम उत्पाद उपस्थित होने की संभावना तलाशी जाती है तथा तेल और गैस की उपस्थिति की पुष्टि हेतु परीक्षण और जाँच कार्य किए जाते हैं। इन परीक्षणों द्वारा हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन हेतु द्विआयामी और त्रिआयामी सेस्मिक डाटा के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है। इस उद्यम में पेट्रोलियम जियोलाजिस्ट, जियो किनिस्ट्सि तथा इंजीनियर्स आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।

ड्रिलिंग अथवा खुदाई
जब एक मर्तबा एक्सप्लोरेशन और प्रास्पैक्टिंग टीम तेल क्षेत्र खोज निकालते हैं, तेल कूप खोदे जाते हैं, सिविल तथा पेट्रोलियम इंजीनियरों द्वारा भूतल तथा समुद्र में तेल कूप खोदने की योजना तथा डिजाइन तैयार कर खुदाई कार्य का निरीक्षण किया जाता है।

उत्पाद
ड्रिलिंग टीम द्वारा अपना कार्य पूर्ण किए जाने के पश्चात उत्पादन टीम जिसमें पेट्रोलियम इंजीनियर, केमिकल इंजीनियर तथा मैकेनिकल इंजीनियर शामिल हैं, अपना काम आरंभ करती है। इनके द्वारा न्यूनतम वेस्टेज तथा अधिकतम उपयोग द्वारा क्रूड ऑइल भंडारों का प्रबंधन किया जाता है।
  पेट्रोलियम उद्योग का कार्य क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। आपके हाथों तक पेट्रोलियम उत्पाद पहुँचने तक इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को कई काम करना होते हैं। तेल उद्योग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नानुसार हैं।      


रिफाइनिं
जब तक संसाधित न किया जाए, कच्चा तेल किसी काम का नहीं होता है। कच्चे तेल को विभिन्न रिफाइनरियों में संसाधित किया जाता है। इस कार्य में आधुनिकतम प्रौद्योगिकी सुविज्ञता के साथ-साथ अनुभवी इंस्ट्रुमेंटेशन, केमिकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल तथा सिविल इंजीनियरों के अलावा तकनीशियनों की सेवाएँ ली जाती हैं। रिफाइनिंग का काम जितना बड़ा होता है उतना ही कठिन भी है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित नियंत्रण उपाय का भी पालन करना होता है।

परिवहन तथा वितर
कोयले की तुलना में तेल की माँग अधिक होने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि इसका परिवहन आसान होता है। वृहद वितरण नेटवर्क सुनिश्चित करता है कि आवश्यक पेट्रोलियम उत्पाद ग्राहकों को सही जगह, सही समय तथा सही कीमत पर मिले। इस कार्य में नई परिवहन कंपनियाँ तथा रिटेल आउटलेट डिस्ट्रीब्यूटर मिलकर हम तक पेट्रोलियम उत्पाद पहुँचते हैं।

अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी)
निर्माण प्रक्रिया को बेहतर बनाने में आर एंड डी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आर एंड डी के माध्यम से इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून इस क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान कार्य कर रही है।

तर्क और आंकडे
कुछ पेट्रोलियम पूरे इतिहास में प्रयोग किए जाते रहे हैं। इजिप्शियनों द्वारा ममियों को सील करने तथा अपने पिरामिडों को कोट करने के लिए पिच का प्रयोग किया जाता था। पर्शियन लोगों द्वारा अपनी सड़कों तथा भवनों के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। भारत में नावों और कश्तियों को वाटरप्रूफ बनाने में इनका प्रयोग किया जाता है।

* अमेरिकी भारतीयों द्वारा पेट्रोलियम को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। वास्तव में 19वीं सदी तक पेट्रोल के जार आश्चर्यकारी टॉनिक के रूप में बेचे जाते थे, जिसके बारे में यह दावा किया जाता था कि यह सारे मर्जों की एक दवा है।

* पेट्रोलियम पदार्थों का उपयोग सड़क चिकना करने (डामर) से लेकर चेहरा चिकना करने (पेट्रोलियम जैली) के लिए किया जाता है।

* पेट्रोलियम पदार्थों को काला सोना या तरल सोना (लिम्बिड गोल्ड) भी कहा जाता है।

* भारतीय तेल तथा गैस उद्योग लगभग 90 बिलियन डॉलर का उद्योग है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रश है।

* भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पाद ग्राहक है, जो 2010 तक चौथे क्रम पर आ जाएगा।

* एशिया-प्रशांत क्षेत्र तेजी से गैस बाजार में उभर रहा है।

* भारत में 18 रिफाइनरियाँ तेल शोधन कार्य कर रही हैं।

* तेल के मार्केटिंग क्षेत्र में 2025 तक 29 बिलियन का निवेश हो जाएगा।

* विदेशी प्रमुख तेल इक्विटी है, वियतनाम, रूस, सूडान, म्यांमार, इराक, लिबिया, सीरिया, यमन।

* इस समय 30,000 रिटेल आउटलेट काम कर रहे हैं तथा 10,000 आउटलेट के लिए लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं।

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