सीटों की संख्या 180 से बढ़कर 240 देश के सात आईआईएम में प्रवेश के लिए कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) 2007 की लिखित परीक्षा परिणामों की घोषणा के बाद अब अगला दौर समूह चर्चा (जीडी) और पसर्नल इंटरव्यू का है। फरवरी से शुरू होने वाले इस दौर के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए विद्यार्थियों को सभी आईआईएम कॉल लेटर भेज रहे हैं।
आईआईएम इंदौर में इस बार स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की सीटों में इजाफा किया गया है। अगली बैच में 180 के बजाए 240 सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए आईआईएम इंदौर ने 1730 विद्यार्थियों को शॉर्टलिस्ट किया है। पर्सेटाइल तय करने और विद्यार्थियों को जीडी-पीआई के दौर के लिए चुनने के पीछे क्या मापदंड अपनाए जाते हैं, यह जानने के लिए हमने बात की आईआईएम इंदौर के निदेशक डॉ. पाराशर से।
कैट की लिखित परीक्षा के परिणामों की घोषणा के बाद विद्यार्थियों को जीडी-पीआई के लिए शॉर्टलिस्ट करने के क्या मापदंड हैं?
देश के सात आईआईएम में प्रवेश के लिए (कैट) 2007 की लिखित परीक्षा परिणामों की घोषणा के बाद अब अगला दौर जीडी और पसर्नल इंटरव्यू का है। फरवरी से शुरू होने वाले इस दौर के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए विद्यार्थियों को सभी आईआईएम कॉल लेटर भेज रहे हैं।
- सभी आईआइएम्स ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के लिए विद्यार्थियों को जब शॉर्टलिस्ट करते हैं तो अलग-अलग मापदंडों को अपनाते हैं। इसमें पर्सेंटाइल को तो शामिल किया ही जाता है, लेकिन छात्र का पूर्व अकादमिक प्रदर्शन और कार्यानुभव भी मायने रखता है।
सभी आईआईएम्स की प्रवेश प्रक्रिया क्या एकीकृत है? - लिखित परीक्षा पूरे देश में एक साथ ली जाती है। इसके बाद जीडी-पीआई प्रक्रिया सभी आईआईएम्स द्वारा पृथक रूप से संपन्न कराई जाती है। इसके लिए फिलहाल कोई एकीकृत प्रक्रिया नहीं है। कौन सा आईआईएम कितने विद्यार्थियों को जीडी और पीआई के लिए शॉर्टलिस्ट करता है, इसका आंकड़ा भी अलग-अलग ही रहता है।
आईआईएम इंदौर ने कितने विद्यार्थियों को अगले दौर के लिए शॉर्टलिस्ट किया है? - जहाँ तक आईआईएम इंदौर की बात है, तो इसकी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की सीटों की संख्या हमने वर्ष 2008-10 की बैच के लिए 240 कर दी है। पूर्व में यह संख्या 180 हुआ करती थी। कैट की लिखित परीक्षा के परिणामों की घोषणा के बाद हमने अगले दौर के लिएफिलहाल 1730 छात्रों को शॉर्टलिस्ट किया है। अब इन्हें कॉल लेटर भेजे जा रहे हैं।
पर्सेंटाइल किस पद्धति से निकालते हैं? ऐसा क्यों है कि कई बार ज्यादा अंक वाले छात्र को कॉल नहीं आता है और कम अंक वाला छात्र शॉर्टलिस्ट हो जाता है? - पर्सेंटाइल एक ग्रुपिंग पद्धति है। शून्य से लेकर 100 फीसदी अंकों के आधार पर पर्सेटाइल का आंकड़ा तय किया जाता है। मसलन जो छात्र शीर्ष रैंक पर है और अगर उसके अंक 99 है तो 99 अंकों को सौ फीसदी मानकर निचली रैंक वाले छात्रों का पर्सेंटाइल निकाला जाएगा।
यह सही है कि 99 पर्सेंटाइल पाने वाला छात्र तो जीडी पीआई के लिए शॉर्टलिस्ट हो जाता है, लेकिन महज एक फीसदी अंकों से पीछे रहे 98 पर्सेंटाइल हासिल करने वाला छात्र को कॉल नहीं आता। इसके पीछे वजह कड़ी प्रतियोगिता है, क्योंकि सभी आईआईएम्स की हर एक सीट के लिए बहुत से छात्र उम्मीदवार रहते हैं।
कई बार ऐसा भी हो जाता है कि शून्य से भी कम फीसदी अंकों से पीछे रह जाने वाले छात्र को उससे ठीक आगे रहे छात्र के मुकाबले शॉर्टलिस्ट कर लिया जाता है। इतने कम अंतर पर ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आईआईएम की प्रवेश प्रक्रिया में पर्सेंटाइल के साथ ही छात्र के अकादमिक प्रदर्शन और उसके कार्यानुभव के अंकों को भी जोड़ा जाता है। कम पर्सेंटाइल से पिछड़ रहे छात्र के अंकों का कुल जोड़ गैर अनुभवी या सामान्य अकादमिक प्रदर्शन वाले छात्र से ज्यादा भी हो सकता है।
क्या नया और सातवाँ आईआईएम भी कैट 2007 प्रवेश प्रक्रिया में शामिल है? - इस वर्ष आईआईएम शिलॉन्ग को भी कैट के जरिए प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया गया है।
कैट की कहानी आईआईएम के डायरेक्टर की जुबानी सात आईआईएम, 1700 सीटें
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कैट 2007 में देश भर से 2.40 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। इसके परिणामों की घोषणा 8 जनवरी को हुई थी। आईआईएम इंदौर के 1730 छात्रों सहित कुल छः हजार विद्यार्थी सातों आईआईएम के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए हैं। इनमें से कुल 1700 सीटों को प्रवेश दिया जाएगा।
शेष छात्र जीडी-पीआई के दौर के बाद बाहर हो जाएँगे। अलग-अलग आईआईएम में यह दौर फरवरी से प्रारंभ होगा और अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक चलेगा। हर वर्ष जीडी-पीआई के दौर के खत्म होने के पंद्रह दिनों के बाद प्रवेश सूची जारी कर दी जाती है।