कॉलेज में दाखिले के शु़रुआती और अंतिम दिनों में किसी भी तकनीकी कैंपस में जॉब फेयर, करियर फेयर या प्लेसमेंट वीक जैसे प्रोग्राम होते देखे जा सकते हैं। अपने ड्रीम जॉब की तलाश में हज़ारों विद्यार्थियों की भीड़ इन फेयर में उमड़ पड़ती है, यह जाने बिना कि ये उनकी दिलचस्पी का है भी या नहीं। जिस तरह से कोई भी उत्पाद या सेवा कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकती है, उसी तरह करियर फेयर के फायदों के साथ-साथ कई नुकसान भी जुड़े हैं।
आयोजकों के साथ प्रतिभागी और उद्योगों को फायदे तो होते हैं, लेकिन कितने? ये समझने की जरुरत है। आजकल जॉब फेयर्स का चलन काफी बढ़ रहा है। इसके सभी पहलुओं पर नजर डालें, तो ये फायदे और नुकसान उभरकर आते हैं...
कंपनियों को फायदे -
1 एक ही स्थान पर ज्यादा से जदा प्रतिभागी मिल जाते हैं।
2 ब्रांड को लेकर जागरुकता बढ़ जाती है।
3 गैर पारंपरिक प्रतिभागियों से मिलने का मौका मिलता है।
4 इंडस्ट्री की दूसरी कंपनियों से भी मिलने का मौका मिलता है।
कंपनियों को नुकसान -
1 कंपनियों के पास प्रतिभागियों को जांचने परखने के लिए सीमित या यूं कहें कि बहुत कम समय होता है।
2 प्रतिभगियों के सामने कई कंपनियों के ऑफर होने के कारण जॉइनिंग की सुरक्षित नहीं रहती ।
अकसर समय कम मिल पाने के कारण गलत प्रतिभागी का चुनाव भी हो जाता है।
3 जॉब फेेयर्स के खर्चे।
4 कई बार प्रतिभागियों के बैकग्राउंड का पता नहीं होने के कारण तकनीकी पैनल की प्लानिंग में दिक्कत आती है।
प्रतिभागियों का फायदा...अगले पेज पर
प्रतिभागियों को फायदे -
1 उद्योगों से मिलने और उनके वर्क कल्चर को समझने का मौका मिलता है।
2 इंडस्ट्री की कई कंपनियां एक ही जगह मिल जाती हैं और उनके प्रतिनिधियों से मिलने का मौका मिलता है।
3 उद्योगों के थिसिस देखने और सवाल-जवाब करने का मौका मिलता है।
4 कई कर्मचारी होने के कारण बेस्ट ऑफर मिल जाता है।
5 रिज्यूमे भेजकर इंतजार करने से बच जाते हैं और उसी समय मुलाकात की जा सकती है।
प्रतिभागियों को नुकसान -
1 कई तरह की कम्पनी और जॉब होने की वजह से एक टारगेट नहीं बन पाता है। इससे विद्यार्थियों में दुविधा की स्थिति बन जाती है।
2 करियर फेयर पर खर्च किया हुआ पैसा और टाइम कई बार बर्बाद हो जाता है।
3 कर्मचारी हर प्रतिभागी को ज्यादा समय नहीं दे सकते, जिसके कारण उन्हें अपनी कुशलता साबित करने का समय नहीं मिल पाता।
4 जॉब फेयर में मिली नौकरी ज्यादातर संविदात्मक या ठेका आधारित होती हैं जिनमें नौकरी की सुरक्षा कम देखी जाती है।एक समय देखा जा रहा था जब करियर फेयर्स अपनी चमक खोने लगे थे। लेकिन बढ़ती बेरोजगारी और कर्मचारियों की कोशिशों के बाद ये फिर चलन में आ चुके हैं। जिस तरह स्टील किंग एल. एन. मित्तल बीमार, बेकार हो चुके उद्योगों को खरीद कर उनमें फिर जान डाल देते हैं, उसी तरह तकनीकी संस्थाएं भी जॉब ढूंढने वालों के मन से खो चुके विश्वास को दोबारा पाने के गुर जानते हैं।
इस मामले में प्रतिभागियों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना बेहतर होगा ताकि समय बचाया जा सके। इसके अलावा इस तरह के फेयर की पूरी जानकारी पता करने के बाद ही वहां जाएं ताकि समय के साथ-साथ पैसे की बर्बादी न हो। इससे आपको यह जानने में भी आसानी होगी कि फेयर आपके प्रोफाइल से मैच कर भी रहा है या नहीं।