-लेषणी मेहरा
क्या आप जानते हैं कि 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है? दरअसल, यूनेस्को (UNESCO) ने नवंबर 1999 को 21 फरवरी के दिन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा मनाए जाने का फैसला किया था। मौखिक संचार की मूल इकाई भाषा ही है साथ ही विचारों या भावनाओं को प्रकट करने या आदान-प्रदान में भाषा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती।
मातृभाषा से तात्पर्य ऐसी भाषा से हो जो आपके घर या परिवेश में बोली जाती है। वह हिन्दी, मराठी, गुजराती, पंजाबी या फिर कोई भी भाषा हो सकती है। भाषा किसी भी संस्कृति की सबसे बड़ी संवाहक होती है। इतना ही नहीं भाषा लोगों की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को समझने में मदद करती है।
अत: बच्चों को अन्य भाषाएं अवश्य सिखाएं, लेकिन उसे अपनी मातृभाषा जरूर सिखाएं। और, मातृभाषा को सीखने की शुरुआत उसके अपने घर और परिवेश से ही होती है। एक अध्ययन के मुताबिक जिन बच्चों को उनकी अपनी मूल भाषा या मातृभाषा में में पढ़ाया जाता है, उनके बारे में कहा जाता है कि उनमें आत्मसम्मान की भावना तुलनात्मक रूप से अधिक होती है। इससे पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते भी मजबूत बनते हैं।