विश्वविद्यालयों में स्नातक की परीक्षाएँ खत्म हो चुकी हैं। कुछ को छोड़कर बहुत से छात्र अब इस कश्मकश में होंगे कि आगे क्या करें और क्या न करें। और सोचना वाजिब भी है, आखिर करियर का सवाल है। लेकिन एक बात तो तय है कि गाँव हो या बड़े मैट्रो के शिक्षा सलाहकार- सबकी जुबान में पहला करियर विकल्प एमबीए बन चुका है। यह बात अलग है कि वे एमबीए को कितना बेहतर जानते हैं और उससे जुड़े करियर को कितना समझते हैं।
वैश्वीकरण प्रसार के कारण व्यापार और उद्योग दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। सेवाओं का क्षेत्र भी अब बढ़ता जा रहा है। इस कारण सभी निकायों में प्रबंधन की माँग भी दिन-पर-दिन बढ़ रही है और इसमे संभावनाएँ भी। आज भी बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अच्छे प्रबंधक के लिए हर कीमत देने को तैयार हैं।
एमबीए ही क्यों- प्रबंधन एक आदत है। समाज के छोटे से समूह में भी अगर हम नजर डालें तो पाएँगे कि कुछ छात्रों की बचपन से आदत काम को सलीके और व्यवस्थित ढंग से करने की होती है। इस आदत को अगर वे अपना करियर बना लें तो उनके लिए सपने पूरा करना कठिन न होगा। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यह आदत डाली नहीं जा सकती है। मुश्किल है नामुमकिन नहीं। एक अच्छे प्रबंधक में तीन लक्षण होने आवश्यक हैं- एटीट्यूड, एप्टीट्यूड और अप्रोच। जिसमें भी ये तीन गुण हैं, वह अवश्य ही प्रबंधन क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकता है।
चयन प्रकिया पहला चरण, लिखित परीक्षा- ज्यादातर बिजनेस स्कूल या संस्थान लिखित परीक्षा में निम्नलिखित क्षेत्र के प्रश्न ही पूछते हैं- 1. लैंग्वेज स्किल- वर्बल एबीलिटी, अँग्रेजी ग्रामर, यूजेज, रीडिंग कम्प्रेशन इत्यादि। 2. क्वांटिटेटिव स्किल- गणितीय योग्यता। 3. इंटरपरफेक्शन एवं रीजनिंग स्किल- डाटा सफीसिएंसी, लॉजिकल रीजनिंग इत्यादि।
दूसरा चरण, समूह चर्चा और व्यक्तिगत साक्षात्कार- इस चरण में समुह चर्चा द्वारा प्रतिभागी के तार्किक पॉजीटिव बातचीत और उसके लीडरशिप के गुण को परखा जाता है। जबकि व्यक्तिगत साक्षात्कार के दौरान, आपका जनरल नॉलेज, आत्मविश्वास, हर विपरीत परिस्थितियों में भी आपकी वाक्पटुता को आँका जाता है।
तीसरा चरण, संस्थान का बुलावा- जब प्रतिभागी उपरोक्त दोनों चरणों को सफलतापूर्वक पार कर लेता है तो अंतिम परीक्षा आती है, स्पेशलाइजेशन और संस्थान चुनने की। कुछ प्रमुख स्पेशलाइजेशन क्षेत्र इस प्रकार हैं-
उपरोक्त दिए गये स्पेशलाइजेशन में पारंगत होकर कोई भी प्रबंधक अपनी प्रतिभा का परचम विश्वभर में लहरा सकता है। न केवल विश्व में अपितु भारत में ही अभी उपरोक्त स्पेशलाइजेशन में एमबीए किए हुए प्रबंधकों की बहुत माँग है।
उचित संस्थान चुनने की चुनौती- एक बेहतर करियर के लिए उचित संस्थान का चुनना अतिमहत्वपूर्ण है। क्योंकि बेहतर संस्थान आपको प्रारंभिक दौर में ही अच्छे मौके दिला सकता है। संस्थानों को वरीयता देते समय निम्नलिखित आयामों पर अवश्य ध्यान रखना चाहिए। इंडस्ट्री इंटरफेस पीडोलॉजी एवं स्ट्रेंथ ऑफ कोर्स सिलेक्शन का तरीका एप्लीकेशन प्रॉसेज स्पेशिफिक इंस्टीट्यूट एवं प्रोग्राम नया संस्थान, संस्थाएँ और प्रोग्राम एलाइड संस्थान फैकल्टी इन्फ्रास्ट्रक्चर एलुमिनाई स्ट्रेंथ प्लेसमेंट रिसर्च एक्सीलेंस वर्सेज एकेडमिक एक्सीलेंस
कुछ अन्य आयामों पर भी अवश्य नजर डालें- डिग्री वर्सेज डिप्लोमा बोर्डिंग वर्सेज डे-स्कूल प्रोग्राम लोकेशन पढ़ाई में होने वाला खर्च
प्रोग्राम विस्तार- सामान्य एमबीए के लिए पीजीपीएम, पीजीडीबीएम, पीजीडीबीएम (एक्जक्यूटिव), पीजीपीएम, एमबीए एफपीएम इत्यादि।
स्पेशल प्रोग्राम में पीजीडीआरएम, पीजीएसीएम, पीडीसीएम, पीजीडीपीएम और आईआर, पीजीडीआईबी, पीजीडीएफटी, पीजीपीसी, पीजीपी-एबीएम, पीजीडीआईटी, पीजीडीईएम, पीजीडीबीटी, एमडीपी (एक्जक्यूटिव), पीजीडीएफएम (यह प्रोग्राम आईआईएफएम उपलब्ध कराता है), पीजीएससीएम (आईआईएम, बैंगलोरु), सोशल वर्क में एमए या पीएमआईआर (टीआईएसएस), पीजीडी इन इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट (एक्सआईएसएस), पीजीडीसीएम (आईआईएम, कोलकाता), एबीएम (आईआईएम अहमदाबाद और लखनऊ) के अलावा भी कई विशेष प्रोग्राम हैं, जो अलग-अलग संस्थान उपलब्ध कराते हैं।
उपरोक्त पाठ्यक्रमों को करने के लिए विद्यार्थियों के पास लगभग हजार से ज्यादा बी-स्कूल हैं। ज्यादातर विद्यार्थी एचआरडी मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त संस्थान आईआईएम को वरीयता देते हैं जबकि कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और बी-स्कूल भी समतुल्य डिग्रियाँ और डिप्लोमा देती हैं जैसे- एनएमआईएमएस, एमईटी, प्रोटॉन बी-स्कूल, आईसीएफएआई विश्वविद्यालय इत्यादि।
स्वयं परीक्षण भी करें- किसी भी स्पेशलाइजेशन को चुनने से पहले आपको अपनी रुचि के बारे में भी सोचना चाहिए। और एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि आप जिस स्पेशलाइजेशन का चुनाव कर रहे हैं वह आपके लिए कितना सहज है। यहाँ कुछ स्पेशलाइजेशन पर प्रकाश डाला गया है-
चेन मैनेजमेंट- किसी भी उद्योग की सप्लाई प्रबंधन उसका आधार होता है- उत्पादन का लेखा-जोखा देखना, सप्लाई और रिटेलर्स से समन्वय करना, इस क्षेत्र के प्रबंधक का कार्य। अगर आपमें इस जुझारू क्षेत्र की चुनौती स्वीकारने की क्षमता है तो चेन मैनेजमेंट आपके स्पेशलाइजेशन का अच्छा क्षेत्र हो सकता है।
बैंकिंग- यदि आपका रुझान मुद्रा प्रवाह, अर्थव्यवस्था या वित्तीय मामलों में ज्यादा रहता है तो बैंकिंग प्रबंधन आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें न केवल आपको दूसरे को उनकी बचत और फायदे के बारे में सोचने की और बताने की छूट होती है बल्कि आपकी बनाई गई एक पॉलिसी से देश की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन भी आ सकता है।
रूरल मैनेजमेंट- जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत का दिल यहाँ के गाँवों में रहता है और इस तकनीक युग में गाँव बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं। विकास के समानुपाती प्रबंधन क्षेत्र में भी यहाँ संभावनाओं की बाढ़ सी आ गई है। ग्रामीण प्रबंधन पर नजर डालें तो पाएँगे कि आधारभूत ढाँचा, मनोरंजन सहित कई क्षेत्र इसमें शामिल हैं।
एनवॉयर्नमेंट मैनेजमेंट- हम सभी के पास रहने के लिए मात्र एक ही पृथ्वी है। इसलिए जनसंख्या बढ़ने और विकास के दुष्परिणामों को नियंत्रित करने के लिए लोगों का ध्यान इस तरफ बढ़ रहा है। जागरूकता को देखते हुए समाज का एक निकाय पर्यावरण की देखरेख और प्रबंधन में चौबीस घंटे लगा हुआ है। विश्वभर में खुल रही नई-नई पर्यावरण एनजीओ को देखते हुए पर्यावरण प्रबंधकों की माँग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पर्यावरण प्रबंधन में न केवल आप पृथ्वी को हरा-भरा बनाते हैं बल्कि आपकी पॉकेट भी हरी-भरी हो जाती है।
रिटेल मैनेजमेंट- आज सभी को एक छत के नीचे सामान खरीदने की आदत पड़ती जा रही है। शहर हो या कस्बे सभी जगह मॉल और सुपर बाजार फैलते जा रहे हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती- इन मॉल्स में ग्राहकों को खास छूट भी दी जाती है जिससे वे इस तरफ खुले बाजार से ज्यादा आते हैं।
सामान को व्यवस्थित तरीके से रखना और ग्राहकों के पसंद और नापसंद को जानने वाले लोगों के लिए रिटेल मैनेजमेंट का क्षेत्र अपेक्षाकृत व्यापक और चुनौतीभरा भी है। मॉल और सुपर बाजार की आँधी ने इसमे प्रबंधकों के लिए भी बड़ी जगह बना दी है। विस्तृत मॉल के लिए हर कंपनी अच्छे प्रबंधकों की हमेशा तलाश करती रहती है। अगर आपमें सामान की माँग और उसकी एवीलिबिल्टी को समन्वय करने की क्षमता है तो रिटेल मैनेजमेंट एक उज्ज्वल भविष्य बन सकता है।
फाइनेंस- एक वाक्य में कुशल वित्तीय प्रबंधक की परिभाषा है- कम से कम धन में ज्यादा से ज्यादा जरूरतें पूरी करने वाला। ठीक उसी तरह से जैसे एक कुशल गृहिणी कम आमद में भी घर को ठीक उसी तरह से चला सकती है जैसा कि ज्यादा आमदनी होने पर। यह उन जैसे लोगों के लिए है जो वैकल्पिक संसाधनों के बारे में योजनाएँ बनाते रहते हैं। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाले इस क्षेत्र में अच्छे प्रबंधकों की माँग दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है।
सिस्टम- तकनीकी क्रांति के इस युग में प्रबंधन और तकनीकी को समायोजित कर नए-नए संसाधनों को समाज से रू-ब-रू कराने वाले प्रबंध स्नातकों की आज के आधुनिक तंत्र में बहुत माँग है। इस क्षेत्र में वो लोग बहुत तेजी से आगे बढ़ सकते हैं जो न केवल स्मार्ट हों बल्कि दूरदर्शी सोच वाले भी हों।
विज्ञापन- आज के युग में सामान को बेचना उतना महत्वपूर्ण नहीं रहा जितना उसकी जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाना। अर्थात और सूचना पहुँचाने का सबसे बेहतर तरीका है विज्ञापन। विज्ञापन प्रबंधन का क्षेत्र उन लोगों के लिए करियर का बेहतर विकल्प बन सकता है जो बड़ी से बड़ी बात को किसी उदाहरण या चित्र के द्वारा प्रस्तुत करने में माहिर हो या ये कहें कि क्रिएटिवटी को करियर बनाना है तो इस क्षेत्र में अपार संभावनाएँ आपका इंतजार कर रही हैं। यह बात गलत न होगी कि विज्ञापन प्रबंधन में भारत अभी नवजात अवस्था में है और इसमें बहुत कुछ करना अभी भी शेष है।
मार्केटिंग- प्रबंधन में विद्यार्थियों का पसंदीदा और बाजार की दृष्टि में सबसे विस्तृत क्षेत्र है। अगर आपमें किसी सामान को बेचने और उसको प्रस्तुत करने का विशेष गुण है तो यह क्षेत्र आपको बुलंदियों तक पहुँचा सकता है। इसके अतिरिक्त एक अच्छे मार्केटिंग प्रबंधक में वाक्पटुता और नेतृत्व क्षमता भी होनी चाहिए। इस क्षेत्र में नई खोजों की असीम संभावनाएँ हैं।
प्रोडक्शन- इंजीनियरों का यह पसंदीदा क्षेत्र है। अगर आपका रुझान किसी भी वस्तु की गुणवत्ता को जानने और सोच उसे बेहतर शक्ल देने की है तो यह क्षेत्र आपके करियर का मजबूत आधार बन सकता है। भारत में ही अभी मैन्यूफेक्चरिंग का एक विस्तृत क्षेत्र खाली है। अगर आपमें उत्पादकता को बढ़ाने की चुनौती स्वीकार करने की हिम्मत है तो प्रोडक्शन में स्पेशलाइजेशन को स्वीकारें।
इंटरनेशनल बिजनेस- अगर आपकी रुचि विश्व बाजार और उदारीकरण व वैश्वीकरण की ओर है तो आपके लिए इंटरनेशनल बिजनेस अर्थात आईबी में स्पेशलाइजेशन उपयुक्त रहेगा। इस क्षेत्र में न केवल अच्छा वेतन है अपितु अन्य के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा भी है। इस क्षेत्र के तहत केंद्र सरकार द्वारा ली गई आयात-निर्यात पॉलिसी और उसके प्रभाव में विशेषज्ञता हासिल करना है।
ह्यूमन रिसोर्स डेवलॅपमेंट- अगर आपकी रुचि और क्षमता लोगों की काबिलियत को पहचानने की है और बातचीत के माध्यम से ही आप किसी भी व्यक्ति के गुणों को भाँप सकते हैं तो ह्यूमन रिसोर्स डेवलॅपमेंट आपके लिए सर्वोत्तम क्षेत्र बन सकता है। किसी भी ऑर्गनाइजेशन को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए ऑर्गनाइजेशन के सदस्यों की आवश्यकताएँ जानना अतिआवश्यक होती है ताकि आप उनको वे सभी सुविधाएँ दे सकें जिनकी उनको जरूरत है। तभी वे कंपनी के लिए समर्पित होकर कार्य कर सकते हैं।
ऑपरेशन मैनेजमेंट- यह देखा गया है कि कुछ लोगों का रुझान समस्या को सुलझाने का रहता है। उन पर यह फर्क नहीं पड़ता कि समस्या बड़ी है या छोटी। ऐसे धैर्य रखने वाले प्रतिभागियों के लिए ऑपरेशन मैनेजमेंट का चुनौतीभरा क्षेत्र उपयुक्त होता है। अगर आपको तनाव और ज्यादा काम का भय नहीं सताता है तो आप मैनेजमेंट के सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण क्षेत्र ऑपरेशन मैनेजमेंट के लिए बिलकुल फिट हैं।
टेलीकॉम मैनेजमेंट- कम्प्यूटर और टेलीकम्यूनिकेशन में रुचि रखने वालों के लिए टेलीकॉम मैनेजमेंट एक बेहतर विकल्प है। जब से कम्यूनिकेशन का सशक्त माध्यम कम्प्यूटर बन गया है तब से टेलीकम्यूनिकेशन्स में टेलीकॉम प्रबंधकों की संभावनाओं की आँधी-सी आ गई है।