पूरी तैयारी से शामिल हो परीक्षा में

- प्रदीप श्रीवास्तव (निदेशक पीएस एकेडमी इंदौर)

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यदि विद्यार्थी सिविल सेवा को अपना करियर बनाना चाहते हैं तो उनको मूलतः इन बातों पर गंभीरता से विचार कर लेना चाहिए। स्वमूल्यांकन, योजनाबद्ध तैयारी, दूसरों के विचार-विमर्श एवं अनुभवी परीक्षार्थी अथवा चयनित प्रतियोगियों से विचार-विमर्श, विषय चयन, पाठ्यक्रम का अध्ययन, पुस्तकों का चयन आदि।

योजनाबद्ध तैयारी में सबसे महत्वपूर्ण है विषय का चुनाव। परीक्षार्थी उसी विषय का चयन करे जो उसे परीक्षा में अच्छे अंक दिला सके। यदि विषय आसान न हो तो उसे समझना कठिन हो जाता है जो परीक्षार्थी के लिए परेशानी पैदा करता है। विषय चयनके बाद स्थान आता है पाठ्यक्रम का।

परीक्षार्थी को पाठ्यक्रम का अध्ययन ठीक से कर उस अनुसार तैयारी करना चाहिए। इसके बाद आवश्यक है पुस्तकों का चयन। पुस्तकों का चयन हमेशा सोच-समझकर करें। हमें यह देखना चाहिए कि हमारे लिए कौनसी पुस्तक महत्वपूर्ण है। परीक्षा की तैयारी में समय का समायोजन काफी जरूरी है। परीक्षार्थी को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उसे सामान्य अध्ययन के लिए कितना समय देना है और वैकल्पिक विषय पर कितना।
महान वैज्ञानिक एडीसन ने कहा है कि 'प्रतिभा को उजागर करने में एक प्रतिशत आंतरिक प्रेरणा होती है तथा 99 प्रतिशत परिश्रम का योगदान होता है।' यदि आप तन-मन से श्रम करने को तैयार हैं तो प्रतिभा के धनी होने या न होने का क्या अर्थ है।


ईमानदारीपूर्वक परीक्षार्थी को तैयारी के दौरान बीच-बीच में अपना मूल्यांकन करते रहनाचाहिए। इससे परीक्षार्थी को यह लाभ होता है कि वह इस बात को जान सके कि उसमें कमी कहाँ है व समय रहते उसे कैसे दूर किया जाए। साथ ही उसे अपने से वरिष्ठ एवं अनुभवी विद्यार्थियों से विचार-विमर्श करते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त अत्यंत महत्वपूर्ण है विषय विशेषज्ञों से विचार-विमर्श व मार्गदर्शन। इसके अलावा स्तरीय सेमिनार, गोष्ठी, रेडियो एवं दूरदर्शन परिचर्चाओं एवं उत्कृष्ट मैग्जीनों के प्रति भी संवेदनशील होना आवश्यक है।

प्रतियोगी चाहे तो इस क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाले प्रतिष्ठित कोचिंग इंस्टीट्यूट से मार्गदर्शन ले सकते हैं, क्योंकि इनके द्वारा मार्गदर्शन से यह आसानी हो जाती है कि हमें क्या व किस प्रकार अध्ययन करना है।

सिविल सेवा परीक्षा व अन्य राज्य सेवा सिविल परीक्षाओं का पाठ्यक्रम कुछ बिंदुओं को छोड़कर लगभग एक समान रहता है। अतः प्रतियोगी इनकी तैयारी साथ-साथ कर सकते हैं। सिविल सेवा अथवा राज्य सेवा आयोग की परीक्षाओं में बिना तैयारी अथवा अधिक उत्साह से शामिल होना मूर्खता है। अतः पहले अपनी तकनीक को दुरुस्त करें तथा जब आपको लगने लगे कि अब तैयारी लगभग स्तरीय हो चुकी है तब उक्त परीक्षाओं में शामिल हो।

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को दो बातों पर हमेशा ध्यान देना चाहिए- पहली यह कि शून्य में जन्म नहीं लेती है, ज्ञान राशि के संचय के साथ स्वतः प्रस्फुटित होती रहती है।

दूसरी यह कि सामान्य प्रतिभा सफलता में बाधक नहीं होती। अधिकांश व्यक्ति सामान्य प्रतिभा के धनी होते हैं, इसलिए अपने मन में हीन भावना को प्रश्रय न दें। महान वैज्ञानिक एडीसन ने कहा है कि 'प्रतिभा को उजागर करने में एक प्रतिशत आंतरिक प्रेरणा होती है तथा 99 प्रतिशत परिश्रम का योगदान होता है।' यदि आप तन-मन से श्रम करने को तैयार हैं तो प्रतिभा के धनी होने या न होने का क्या अर्थ है। आप पूरी निष्ठा व आत्मविश्वास के साथ परीक्षा की तैयारी करें, सफलता अवश्य मिलेगी।

स्रोत : नईदुनिया अवसर