स्मार्ट इंदौर। क्लीन इंदौर। मेट्रो ट्रेन वाला इंदौर। लेकिन गड्ढे में इंदौर। अपनी स्वच्छता और तेजी से बढ़ते इंदौर को इन दिनों अपनी बदहाल सड़कों के लिए ही जाना जा रहा है। हाल ही शहर की एक प्रमुख सड़क पर हुए जानलेवा गड्ढे की वजह से इंदौर देशभर के सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा है। चिथड़ा- चिथड़ा सड़कें। जगह- जगह गड्डे। गंदगी से भरे नाले। नलों में आता गंदा पानी। जगह जगह जलजमाव। ट्रैफिक जाम। पहले ही शहर में जगह जगह हो रहे जानलेवा ब्लैक स्पॉट और अब उन सड़कों पर अचानक हो रहे गड्ढे बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
शुक्रवार को विजय नगर में मेघदूत गार्डन के ठीक सामने स्कीम नंबर 54 की तरफ जाने वाली सड़क पर अचानक एक गहरा गड्ढा हो गया। गनीमत रही कि उस वक्त कोई वहां से गुजर नहीं रहा था।
किसी की जान जाती तो क्या : गड्ढे में गिरकर कोई वाहन चालक हादसे का शिकार न हो जाए, इसलिए उसके आसपास ट्रैफिक पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए है। गड्ढा क्यों हुआ, नगर निगम के अफसर इसकी जांच कर रहे हैं। रहवासियों ने बताया कि सुबह के समय जिस हिस्से में सड़क धंसी थी, वहां पर पानी का रिसाव हो रहा था। बता दें कि पिछले साल गड्ढे की वजह से हुए हादसे में एक युवक की मौत हो चुकी है।
क्यों हुआ गड्ढा : बताया जा रहा है कि सड़क के नीचे से कोई लाइन लीकेज हुई है। इस कारण पहले मिट्टी धंसी और फिर सड़क का हिस्सा भी टूट कर गड्ढे में गिर गया। सड़क के बीचों-बीच करीब 4 फीट का गड्ढा हुआ है। गड्ढे के आसपास से चार पहिया वाहनों को नहीं जाने दिया जा रहा है ताकि वजन के कारण सड़क का दूसरा हिस्सा भी धंस ना जाए। शाम को मौके पर नगर निगम के जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर पहुंचे और गड्ढे को भरवाने का काम शुरू किया। उन्होंने इसकी जांच के आदेश भी दिए है।
ये पहली बार नहीं है : इंदौर में सड़क धंसने और गड्ढे होने की पहली घटना नहीं है। चार साल पहले पलासिया चौराहा पर बीआरटीएस की बस लेन में गड्ढा हो गया था। तब बसों का आवागमन भी रोकना पड़ा था। उससे पहले गीताभवन चौराहे के समीप भी गड्ढा हो गया था और उसमे कार भी फंस गई थी। अफसरों का कहना है कि बारिश के दिनों में मिट्टी बैठती है। इसके अलावा सड़क के नीचे से नर्मदा लाइन क्रास हो रही है और उसमें रिसाव होता है तो भी सड़क धंसने की संभावना बनी रहती है।
क्यों नहीं सुधर रही व्यवस्थाएं : स्मार्ट सिटी और देश का सबसे स्वच्छ शहर का दम भरने का दावा और हकीकत कुछ और ही कह रही है। कुल मिलाकर मानसून की पहली ठीक- ठाक बारिश ने ही शहर में विकास की सारी पोलपट्टी खोल दी है। बारिश के दिनों में पूरा शहर अस्त- व्यस्त हो जाता है। लोग लंबे वक्त तक जाम में फंसे रहते हैं। नगर निगम प्रशासन हर बार की तरह इस बार भी इस मोर्चे पर फेल नजर आ रहा है।
महापौर के दावों की पोल खुली : महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने हर बार की तरह इस बार भी दावे किए थे कि इंदौर को जलभराव से मुक्ति दिलाएंगे। लेकिन इस बार भी प्रशासन ने बारिश से निपटने के कोई इंतजाम नहीं किए और वही हाल नजर आ रहा है जो हर साल होता है। अब तो सड़क पर गड्ढे होने लगे हैं। भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहे ऐसे विकास कार्य करने वालों के पास कोई जवाबदेही है?
टैक्स का भार बढ़ा, सुविधाएं सिफर : बता दें कि इंदौर की जनता पर एक बार फिर से टैक्स आदि का भार बढ़ा दिया गया है, हाल ही में संपत्तिकर, जलकर और कचरे के टैक्स में इजाफा किया गया है, लेकिन सुविधाओं और व्यवस्थाओं के नाम पर हालात जस के तस हैं। सवाल यह है कि क्या इंदौर को कभी इस समस्या से निजात मिल पाएगी? रिपोर्ट : नवीन रांगियाल