भारत को कुल जनसंख्या अनुपात में वर्ष 2015 में कम से कम 5 करोड़ 50 लाख नौकरियों की आवश्यकता होगी, जो कुल जनसंख्या का 39 प्रतिशत है।
यह खुलासा 2009-2010 के दौरान नौकरियों पर की गई क्रिसिल की रिचर्स की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2005 से 2010 के बीच नौकरियों की संख्या में दोगुना बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार अगर 2015 इसमें सेवानिवृत्त होकर नौकरी छोड़ने वालों की संख्या को भी शामिल कर लिया जाए तो भी हमें 5 करोड़ 50 लाख से अधिक नौकरियों की जरूरत होगी। रिपोर्ट कहती है कि एक अच्छी नीति के बिना इस स्थिति निपटना एक चुनौती होगा।
क्रिसिल का यह अध्ययन नेशनल सेम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के रोजगार आंकड़ों पर आधारित है। रोजगार में कुल 2005 और 2010 के बीच के कुछ लोगों के स्वरोजगार के आंकड़े भी शामिल हैं।
रोजगार में कुल बढ़ोतरी की संख्या 27.7 मिलियन है, लेकिन स्वरोजगार में 25.5 मिलियन की कमी हुई है। हालांकि रोजगार खत्म होने पर नौकरी में आए लोगों के लिए यह माना गया कि बेरोज़गारों को रोजगार मिला है, लेकिन वास्तव में इस दौरान स्वरोजगार बड़े पैमाने पर खत्म हुए।