योग भगाए एक्जाम का टेंशन

परीक्षा के समय विद्यार्थियों को अक्सर तनाव, चिड़चिड़ाहट, आतुरता आदि अनेक मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कई विद्यार्थी इस समय बीमार हो जाते हैं। वे तनावग्रस्त हो जाते हैं और उनकी एकग्रता भी बार-बार भंग होती है। योग इन कठिनाइयों की अचूक दवा है।

सबसे पहले समझें कि योग क्या है? चित्त की वृत्ति का निरोध करना ही योग है। सरल शब्दों में कहें तो मन जो भटकता है उस पर लगाम देना ही योग है। शरीर व मस्तिष्क के पूर्ण संतुलन की अभिव्यक्ति को योग अनुशासन कहते हैं। मानव स्वस्थ मन व स्वस्थ शरीर को नियमित योग से प्राप्त कर सकता है। इसमें आसन, प्राणायाम, ध्यान, शवासन, योगनिद्रा आदि प्रमुख हैं। इन आसनों को करने से एकाग्रता बढ़ती है, पढ़ने की शक्ति बढ़ती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा क्रोध व तनाव कम होता है। इसके अलावा विद्यालयों, ऑफिस या घर में सहकार्य व अनुशासन में रहने की आदत बन जाती है।

योग से शरीर, मन, मस्तिष्क स्वस्थ व तरोताजा रहता है तथा शारीरिक व मानसिक क्षमताओं में वृद्धि होती है।

एक विद्यार्थी को अपने जीवन को नियमित करके योग करना चाहिए। जब योग करते हैं तो साधक को उसके स्वास्थ्य, शक्ति व स्वभाव के अनुसार इसे करना चाहिए। विशेषज्ञ की सलाह से यह करने से अधिक लाभ होता है। विद्यार्थियों को ताड़ासन, पर्वतासन, पवनमुक्तासन, शशकासन, योगमुद्रा, भुजंगासन, सर्पासन, मकरासन, सेतुबंध भ्रामरी, कपालभांति, भस्रिका योगेन्द्र (लोम, विलोम) प्राणायाम, शीतली, शितकारी आदि करना चाहिए। निष्पंदभाव, ध्यान, शवासन व योगनिद्रा भी करनी चाहिए। योगनिद्रा द्वारा तनाव से मुक्ति होती है व एकाग्रता, स्फूर्ति आती है।

उपरोक्त लाभ के अतिरिक्त आँखों की थकान कम होती है, मोटापा (अनावश्यक चर्बी) कम होती है, ऊर्जा शक्ति बढ़ती है एवं परीक्षा का भय कम होता है। मनुष्य में शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व भावनात्मक संतुलन बना रहता है। परीक्षा हॉल में विद्यार्थी को प्रश्नपत्र मिलने के पहले सीधा बैठकर ॐ का 5 बार उच्चारण मन ही मन में करना चाहिए। 20 बार लंबी/ गहरी साँस लेना चाहिए। फिर पर्चा देना चाहिए। सोने के 2 घंटे पहले सुपाच्य भोजन करना चाहिए। तनावरहित रहकर पढ़ना चाहिए। परीक्षा के समय में भोजन का भी ध्यान रखना चाहिए।

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