आज अधिकांश छात्र स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हैं। जिससे सफलता तो हाथ से फिसलती ही है, साथ ही वे जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी पिछड़ जाते हैं।
दिन के करीब 1.30 बजे होंगे। मैं कोई मैग्जीन पढ़ने में व्यस्त थी। तभी किराएदार मधुकरजी बाहर से हड़बड़ाते हुए आए और बोले, 'आप प्लीज घर देख लीजिएगा, मुझे आज हॉस्पिटल में ही रहना होगा।' मेरे पूछने पर जल्दी में उन्होंने इतना ही बताया कि 'सौम्या की तबीयत खराब है।' फिर वे तेज कदमों से बस स्टैंड की ओर बढ़ गए। शाम तक भी लौटे नहीं। दूसरे दिन सुबह आने पर उन्होंने बताया कि परीक्षा हॉल में जाते ही सौम्या को उल्टी होने लगी। वह बेहोश हो गई। प्राचार्य ने मुझे ऑफिस से बुलवाया और मैंने उसे डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने उसे एडमिट करने की सलाह दी।
सौम्या हमारे यहाँ किराए से रहती है। उसके पिताजी निजी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। बहुत पढ़ाकू लड़की और कठिन परिश्रमी होने के बावजूद उसमें आत्मविश्वास का अभाव था। वह सफलता के प्रति आश्वस्त नहीं थी। इसी कारण उसका परीक्षा परिणाम भी संतोषप्रद नहीं रहा। फलस्वरूप उसने और भी कठिन परिश्रम करना शुरू कर दिया। अब वह दिन में ही नहीं वरन् रातभर जागकर पढ़ती।
उसके पिताजी ने उससे कहा भी कि इतनी देर तक मत पढ़ा करो। इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यदि स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो ही तो सफलता मिलेगी, पर इन बातों को वह नकार देती। कठिन परिश्रम से उसका स्वास्थ्य दिनों-दिन गिरता जा रहा था। आँखें धँसती जा रही थीं। यही नहीं बाल गिरने और सफेद होने लगे थे।
मैंने भी उसे कई बार समझाया कि बेटा मेहनत तरीके से करना चाहिए, लेकिन उसने अनसुना कर दिया। जिस दिन उसकी बोर्ड परीक्षा थी उस दिन वह बहुत घबराई हुई थी, क्योंकि 3 रोज पहले ही वह वायरल से मुक्त हुई थी। जैसे ही परीक्षा हॉल में पहुँची, घबराकर व एकदम चक्कर खाकर बेहोश हो गई फिर उसे तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा। परिणाम यह रहा उसका साल बर्बाद हो गया।
यह हमेशा याद रखिए कि आलस्य तथा लापरवाही से उपजी अस्वस्थता के कारण हम जीवन के किसी भी आनंद का लाभ नहीं उठा सकते। जीवन के उन उद्देश्यों को भी प्राप्त नहीं कर सकते जिनके लिए हमने अपना स्वास्थ्य खोया है। विद्यार्थी जीवन में स्वास्थ्य का और भी महत्व है। अध्ययन के लिए स्वस्थ शरीर तो चाहिए ही साथ में स्वस्थ मन भी, क्योंकि स्वस्थ मन से ही स्वस्थ चिंतन हो सकता है। फिर अध्ययन का उद्देश्य तो चिंतन शक्ति को ही प्रखर करना है न? आज अधिकांश छात्र स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हैं। जिससे सफलता तो हाथ से फिसलती ही है, साथ ही वे जीवन केअन्य क्षेत्रों में भी पिछड़ जाते हैं। उनका स्वास्थ्य गिरने के कई कारण हैं।
निरंतर अध्ययन
कुछ विद्यार्थी स्कूल से आते ही तुरंत पढ़ने बैठ जाते हैं और देर तक अध्ययन करते हैं। इस लगातार अध्ययन के फलस्वरूप भी स्वास्थ्य का गिरना स्वाभाविक है। लगातार एक ही जगह बैठकर पढ़ना कई तरह से आपको शारीरिक परेशानियाँ भी दे सकता है। साथ ही मस्तिष्क को भीइसके कारण आराम नहीं मिल पाता।
सुबह देर से उठना
रात को देर तक पढ़ते रहने के कारण अधिकांश छात्र सूर्योदय के बाद उठते हैं जिससे वे सुबह की ताजा हवा से वंचित रह जाते हैं और उनका स्वास्थ्य कमजोर होने लगता है। फिर देर तक जागने और सुबह लेट उठने से शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक भी गड़बड़ा जाती है।
खेलकूद से परहेज
कुछ विद्यार्थी खेलकूद की महत्ता जानते हुए भी खेलकूद में भाग नहीं लेते। वास्तव में ऐसे खेल खेलना चाहिए जिससे फिजिकल फिटनेस बनी रहे। खेलकूद से शरीर के साथ-साथ मन भी स्फूर्ति से भरा रहता है।
व्यर्थ चिंतन
कुछ छात्र व्यर्थ के चिंतन के कारण भी अपना स्वास्थ्य खोते हैं। वे पढ़ते कम हैं तथा मन में नकारात्मक विचार ज्यादा लाते हैं। इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए यदि निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाए तो विद्यार्थी अस्वस्थता से बच सकते हैं।
सफलता के लिए दिन-रात पढ़ने की जरूरत नहीं होती। कम पढ़ें, पर जो पढ़ें उसका मनन करें। लिखकर देखें, ऐसा करने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। भूलने की आदत भी छूटेगी। स्मरण शक्ति बढ़ने से मेहनत कम लगेगी। उद्देश्यपूर्ण अध्ययन कर आप अधिक परिश्रम से बच सकते हैं। साथ हीसाल भर टाइम टेबल के साथ पढ़ें। सालभर की पढ़ाई इकट्ठी एकसाथ करने की हिम्मत न करें।
अध्ययन को विश्लेषणात्मक ढंग से करें। स्वयं के नोट्स बनाएँ। इससे आप भूलेंगे नहीं तथा आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
लगातार अध्ययन से बचें। मन की थकान को पहचानें। कुछ रोचक पुस्तक या पत्रिका को पढ़ें। यह न भूलें कि लगातार अध्ययन से लाभ कम, नुकसान ज्यादा होता है।
अपनी दैनिक जीवनचर्या को ठीक करें। हर काम को ढंग से करें। सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रातःकालीन हवा में घूमें। हल्का-फुल्का व्यायाम करें। इससे भी स्वास्थ्य बना रहेगा।
इस प्रकार सार्थक परिश्रम करें और यह सदैव याद रखें कि स्वास्थ्य ही सफलता का आधार है। इसकी उपेक्षा से न आप अध्ययन में प्रगति कर सकते हैं, न ही जीवन में।