शिक्षा में आगे बढ़ता मध्यप्रदेश

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अब वह समय गया जब उत्तर भारत के छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ‍दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता था। अब उत्तर भारत के राज्य भी उच्च तकनीकी शिक्षा में अग्रणी होते जा रहे हैं। राज्य सरकार की नीतियां इन प्रदेशों में शिक्षा के लिए एक सुखद माहौल का निर्माण कर रही हैं।

मध्यप्रदेश भी ऐसे ही राज्यों में शामिल है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में भी मध्यप्रदेश तेज गति से बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश एक तकनीकी शिक्षा के लिए देश का एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। शिक्षा में निजी संस्थानों की भागीदारी भी बढ़ती जा रही है। ‍बढ़ते उच्च शिक्षा संस्थानों से मध्यप्रदेश के छात्रों के साथ ही पड़ोसी राज्यों के छात्र भी इनमें पढ़ने आ रहे हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के अनुसार प्रदेश के छात्रों को रोजगार प्रदान करने के लिए सूचना-प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रदेश में निवेश के लिए राजी किया गया है। इसी कारण राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

मध्यप्रदेश के एक बड़े भाग पर ग्रामीण और जनजातीय जनसंख्या रहती हैं। यहां सड़क, संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण और शिक्षा के लिए बनते माहौल ने मध्यप्रदेश को एक मजबूती प्रदान की है।

प्रदेश के कई वरिष्ठ शिक्षाविदों का कहना है कि आने वाले सालों में मध्यप्रदेश में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा की ‍नीतियां क्रियान्वित हो जाएंगी। इसके लिए आवश्यक है कि सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाए। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

जानकारों का कहना है कि तकनी‍की शिक्षा के क्षेत्र में भी जितनी सुविधाएं सरकार की ओर से मिलना चाहिए, उतनी मिल नहीं रही हैं। अभी बिजली और पानी जैसा संकट बना हुआ है। राज्य सरकार को इन बुनियादी समस्याओं के हल के लिए प्रयास करना चाहिए। वर्तमान परिदृश्य को देखा जाए तो आईआईएम, आईआईटी के बाद अन्य उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान भी मध्यप्रदेश की ओर रुख कर रहे हैं।

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