रमेशचन्द्र शाह हिन्दी के वरिष्ठ कवि-कथाकार हैं। गोबर गणेश, किस्सा गुलाम, पूर्व पर, आखिरी दिन, पुनर्वास जैसे उपन्यास और नदी भागती आई, हरिश्चंद्र आओ जैसे कविता संग्रह के रचयिता रमेशचंद्र शाह भोपाल में रहते हैं। उनकी अनेक रचनाएं अन्य भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं तथा वे अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से अलंकृत हैं।
विख्यात हिन्दी लेखक रमेशचंद्र शाह की पत्नी ज्योत्स्ना मिलन हिन्दी संसार की आधुनिक साहित्यकार हैं। उन्हें उनकी कृतियों के साथ-साथ गुजराती साहित्य का हिन्दी में अनुवाद करने के लिए भी जाना जाता है। मुंबई में जन्मीं ज्योत्स्ना मिलन का पारिवारिक माहौल साहित्यिक रहा है। बारह वर्ष की उम्र में लिखी पहली कविता की सराहना हुई और फिर लेखन में आगे बढ़ती गई। ज्योत्स्ना जी ने लगभग सभी विधाओं - (कविता, उपन्यास, कहानी और संस्मरण) में लिखा है। वह गुजराती एवं अंग्रेज़ी साहित्य से एम.ए.हैं। उनके दो कविता संग्रह, तीन उपन्यास, पांच कहानी संग्रह एवं एक संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं। 'अ अस्तु का' उनका चर्चित उपन्यास है। वरिष्ठ कवि-कथाकार, समालोचक रमेशचंद्र शाह लगभग पचास वर्षों से कविताएं लिख रहे हैं। प्रस्तुत है दोनों साहित्यकारों से डॉ. राकेश शर्मा की बातचीत-
साक्षात्कार : रमेशचंद्र शाह एवं श्रीमती ज्योत्स्ना मिलन (I)
साक्षात्कार : रमेशचंद्र शाह एवं श्रीमती ज्योत्स्ना मिलन (II)
साक्षात्कार : रमेशचंद्र शाह एवं श्रीमती ज्योत्स्ना मिलन (III)
साक्षात्कार : रमेशचंद्र शाह एवं श्रीमती ज्योत्स्ना मिलन (IV)