गणपति बप्पा मोरया... पढ़ें गणेश उत्सव पर रोचक निबंध

WD Feature Desk

गुरुवार, 21 अगस्त 2025 (07:05 IST)
Ganesh Utsav Essay: गणपति बप्पा मोरया! यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक भावना है जो हर साल गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय महापर्व के दौरान पूरे भारत को भक्ति और उत्साह से भर देती है। गणेश उत्सव भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है।ALSO READ: नृत्य से लेकर तांडव मुद्रा तक जानिए हर गणेश प्रतिमा का महत्व
 
क्यों मनाया जाता है गणेश उत्सव: इस पर्व का सीधा संबंध भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी के जन्म से है। गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक बालक को बनाया और उसे अपनी अनुपस्थिति में द्वारपाल बना दिया।

जब भगवान शिव वापस आए तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर शिव जी ने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती के विलाप करने पर, शिव जी ने एक हाथी का सिर लगाकर उस बालक को पुनर्जीवित किया। तभी से उन्हें गजानन, यानी गज (हाथी) के मुख वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।
 
कैसे मनाते हैं यह पर्व: गणेश उत्सव की शुरुआत भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा को घर या सार्वजनिक पंडालों में स्थापित करने से होती है, जिसे 'स्थापना' कहते हैं। इसके बाद, अगले दस दिनों तक भक्तगण भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं।

इस दौरान मोदक जो उनका सबसे प्रिय व्यंजन है और लड्डू का भोग लगाया जाता है, दूर्वा घास अर्पित की जाती है। इन दस दिनों तक भजन-कीर्तन और आरती का सिलसिला चलता रहता है, जिससे पूरे वातावरण में एक भक्तिमय ऊर्जा भर जाती है।
 
उत्सव का अंतिम दिन 'अनंत चतुर्दशी' कहलाता है। इस दिन, एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्तगण 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!' के जयकारे लगाते हुए, गणपति की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं। यह विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने लोक वापस जा रहे हैं और अपने साथ भक्तों के सारे दुख और कष्ट ले जा रहे हैं।
 
धार्मिक महत्व और सामाजिक एकता: गणेश उत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश शासन के दौरान लोगों को एक साथ लाने के लिए इस उत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाना शुरू किया था। यह पर्व हमें सिखाता है कि हम सब मिलकर एक समुदाय के रूप में कैसे रह सकते हैं।
 
निष्कर्ष: भगवान गणेश को 'विघ्नहर्ता' यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है। गणेश उत्सव हमें जीवन में किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेने और धैर्य और बुद्धि से काम लेने की प्रेरणा देता है। यह पर्व कला, संस्कृति और परंपरा का उत्सव है जो हर साल एक नई ऊर्जा और उमंग के साथ वापस आता है।ALSO READ: आ रही है श्रीगणेश चतुर्थी, अभी से अपने मोबाइल में सेव कर लें ये खूबसूरत शुभकामना संदेश

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