- हरकृष्ण शर्मा कला तो दिल से उपजती है, बस जरूरत पड़ती है तो इसे निखारने की। यह मनुष्य को आराम के पल, मन की शांति और मानसिक सुकून प्रदान करती है। ऐसा मानना है पंजाब के भटिंडा जिले के ख्यात चित्रकार अमरजीत सिंह का, जिन्होंने अपनी कल्पनाओं के संसार को कैनवास पर बखूबी उतारा है।
अमरजीतसिंह द्वारा बनाए गए सिख गुरुओं के चित्र मनमोहक और अतुलनीय हैं। उन्होंने पंजाब के प्रसिद्ध साहित्यकार और कवियों को भी अपनी कला के जरिये चित्रित कर अपना पंजाब प्रेम दर्शाया है। आजकल वे श्रीगुरु ग्रंथ साहिब के संदर्भों पर आधारित चित्रों की श्रृंखला बना रहे हैं। वेबदुनिया प्रतिनिधि हरकृष्ण शर्मा ने उनसे मुलकात की।
प्रश्न : आप इस क्षेत्र की तरफ कैसे प्रेरित हुए? उत्तर : प्रत्येक व्यक्ति में कोमल भावना होती है और चित्रकारी तो ऐसी कला है, जिसे मनुष्य बचपन में ही सीखना शुरू कर देता है। ये कला अंदर से ही उपजती है, लेकिन इसे निखारने के लिए गुरु की जरूरत होती है। उम्र के साथ-साथ आदमी के भीतर परिपक्वता आ जाती है।
मुझे भी बचपन से ही इसका शौक था। मेरे मामाजी रविन्दरसिंह मान (जो एक अच्छे पेंटर थे) ने मेरे भीतर के चित्रकार को पहचानते हुए मुझे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उस वक्त मैं आठवीं कक्षा में था। मैंने उन्हीं के मार्गदर्शन में काम शुरू किया और चार से पाँच साल तक प्रशिक्षण हासिल किया। भटिंडा आकर मैंने चित्रकारी पूरी तरह अपना ली। इसके साथ ही मैंने आजीविका के लिए व्यावसायिक कार्य आरंभ किया एवं शौक के लिए चित्रकारी की।
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प्रश्न : कला का क्या महत्व है, इसके बारे में कुछ बताएँ? उत्तर : कला का महत्व संसार में बहुत बड़ा है। असल में जब व्यक्ति को जिन्दगी में सुकून और खुशी की जरूरत होती है तो वह कला का सहारा लेता है। कला उसे आराम के पल प्रदान करती है और शौक भी पूरा करती है। कला उसे हर तरह से मन की शांति की तरफ ले जाती है। सभ्यता, काव्य कला और मूर्ति कला समेत दुनिया की सात कलाओं में इन्सान जब तक दिलचस्पी नहीं लेता, उसे मानसिक संतुष्टि नहीं मिलती और वह भटकता रहता है। कला हमें मानसिक सुकून प्रदान करती है।
प्रश्न : अब तक आप कौन-कौन से चित्र बना चुके हैं ? उत्तर : मैं काफी चित्र बना चुका हूँ, जैसे भगत पूर्णसिंह पिंघलवाड़ा, दरबार साहब तथा इसके अलावा गुरु ग्रंथ साहबजी की श्रृंखला पर मैंने काम शुरू किया है। श्रृंखला के काफी चित्र बना चुका हूँ, लेकिन ये प्रोजेक्ट काफी बड़ा है, जिस पर मैं काम कर रहा हूँ। गुरु साहिबान पर तो काफी कार्य हो चुका है, लेकिन गुरवाणी दर्शन पर अभी कुछ विशेष कार्य नहीं हुए हैं। भविष्य में गुरवाणी दर्शन पर कार्य करने की कोशिश कर रहा हूँ।
इसके अलावा मैंने लेखकों की श्रृंखला भी शुरू की है, जिसमें मैं करीब 150 चित्र बना चुका हूँ। मैंने बाबा फरीदजी से श्रृंखला की शुरुआत की है तथा गुरु साहिबानों के अलावा भक्ति रस के कवि, सूफी कवि, जिनमें बुल्ले शाह, शाह हुसैन और फजल शाह से लेकर आधुनिक दौर के अमृता प्रीतम, प्रोफेसर मोहनसिंह, गुरबख्शसिंह प्रीतलड़ी, शिव कुमार बटालवी, अवतारसिंह पाश और ईश्वरचन्द्र नन्दा के अलावा अन्य के चित्र भी उकरेने के प्रयास में लगा हूँ।
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प्रश्न : पंजाब के कवि, साहित्यकार और सूफी संतों की जो पेंटिंग्स आपने बनाई हैं, उन्हें बनाने का विचार आपके मन में कैसे आया? उत्तर : मुझे बचपन से ही साहित्य पढ़ने का शौक था। मैं उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर सका, फिर भी मुझमें पढ़ने का शौक कायम था। मैं सोचता था कि साहित्यकार समाज निर्माता होते हैं। यदि संसद में कानून बनता तो किसी न किसी रूप में यह सबसे पहले साहित्यकारों की सोच ही होती है। साहित्यकार समाज का बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैं उन्हें पढ़ता हूँ, प्रेरित होता हूँ। भविष्य में मैं देश के बड़े साहित्यकारों का चित्र बनाने की सोच रहा हूँ।
प्रश्न : पेंटिंग के भविष्य के बारे में आप क्या सोचते हैं या सरकारों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए, ताकि कला और भी प्रफुल्लित हो? उत्तर : 19वीं सदी में जब कैमरा आया तो कैमरे ने पेंटिंग को बहुत नुकसान पहुँचाया। इसके कारण प्रसिद्ध पेंटरों को इसका विकल्प तलाशना पड़ा, क्योंकि पेंटिंग और कैमरे में ज्यादा अंतर नहीं रहा। पिकासो ऐब्सट्रैक्ट आर्ट पेंटिंग की तरफ बढ़ा और ऐब्सट्रैक्ट आर्ट का भविष्य उज्ज्वल है। बड़े शहरों में पेंटिंग्स नीलामी द्वारा बिकती हैं, जिनसे अच्छी आमदनी हो रही है। छोटा चित्रकार खप रहा है और उसके भविष्य की कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है। उसे काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। उनके भविष्य का कोई ठिकाना नहीं है।
सरकारों का ध्यान राजनीति की तरफ होता है। कला की तरफ सरकारें काफी कम ध्यान देती हैं। सरकारों को सियासती खेल खेलने की बजाय कला का ख्याल करना चाहिए। पंजाब सरकार तो इस विषय पर कोई काम ही नहीं कर रही है। उसे जिले में एक कला म्यूजियम तथा एक ऑर्ट गैलरी बनाना चाहिए, ताकि कला की भलाई हो सके और लोगों को सुकून भी मिलेगा।
प्रश्न : मुंबई हमले में मकबूल फिदा हुसैन के बनाए हुए चित्र क्षतिग्रस्त हो गए थे। वे अब उन्हें पुन: चित्रित कर रहे हैं। इस बारे आपका क्या मानना है ? उत्तर : आतंकी कार्रवाई तो बुरी ही होती है। वह चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में हो, चाहे वह हिस्सा अमेरिका हो या भारत का। मुंबई के ताज होटल पर पिछले दिनों हुए हमले से जहाँ कई लोगों को जान गँवाना पड़ी और विश्व के प्रख्यात चित्रकार फिदा हुसैन के चित्र क्षतिग्रस्त हो गए, ऐसे आतंकी कृत्यों की सदा भर्त्सना करना चाहिए। यह अच्छी बात है कि हुसैन उन चित्रों को दोबारा ठीक कर रहे हैं।
प्रश्न : भविष्य में आपकी कौन-कौन से चित्र बनाने की योजना है? उत्तर : मेरी योजना श्रीगुरु ग्रंथ साहब के मार्गदर्शन पर चित्र बनाने की है और इस पर मैंने काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा मैं आने वाले समय में साहित्यकार, पंजाब से जुड़े सभ्याचार या पंजाब में जो देशभक्ति आंदोलन हुए हैं, जैसे कामागाटा मारू, बब्बर अकाली लहर या जलियाँवाला बाग के अनजान शहीदों के बारे में चित्र बनाने की योजना बना रहा हूँ।
प्रश्न : कला से जुड़े लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे, ताकि वे कला को और अधिक फैला सकें? उत्तर : मनुष्य को रोजी-रोटी के लिए कुछ करना ही पड़ता है, जबकि कला नि:स्वार्थ होकर ही करना पड़ती है, तभी इसमें उन्नति कर सकते हैं। मैं कलाकार भाइयों से यही कहूँगा कि वे समय निकालकर उक्त कला में अपना योगदान दें। साथ ही उन्हें लगातार काम करते रहना चाहिए। यह लहर सतत चलती रहे और मुश्किलों का सामना किया जाता रहे।
प्रश्न : आपकी प्रदर्शित हो चुकी पेंटिंग्स तथा सरकार से आपको मिले सम्मान के बारे में बताएँ ? उत्तर : पंजाब में बड़ा पेंटिंग प्रदर्शन हो चुका है। सरकारी सम्मान मिलता रहता है, लेकिन जो प्यार लोगों से मिलता है, वही बहुत बड़ा सम्मान होता है।