कहते हैं सब दिन एक जैसे नहीं होते। ज्योतिष का अघोषित नियम है कि यदि भाग्य से किसी को बचपन में बहुत अच्छी स्थिति का लाभ मिला है तो युवावस्था में उसे अपने कर्मों के प्रति सावधानी रखनी चाहिए ताकि उसका बुढापा सुरक्षित रह सके क्योंकि जीवन का एक हिस्सा कष्ट देता है।
ललित मोदी को भी भाग्य की प्रबलता के कारण सुरक्षित बचपन मिला जिसमें हर सुख-सुविधा उनके पास थी। अच्छी शिक्षा के अवसर भी मिले और गुरु की पंचम स्थिति ने विद्या में खूब यश भी दिया। ललित का जन्म 29 नवंबर 1963 को हुआ। वृश्चिक लग्न और मेष राशि की सूर्य कुण्डली में गुरु-शनि दोनों ही अच्छी हालत में, स्वराशिस्थ हैं।
बुध लग्न में है जो वाक् पटु और व्यापार-विचार में माहिर बनाता है। शुक्र-मंगल एक साथ है व द्वितीय में है जो अपने से बड़ी स्त्री से विवाह को भी दिखाता है साथ ही यह योग परिवार के प्रति आसक्ति का प्रतीक है। गुरु-शनि की अच्छी स्थिति ने अब तक ललित का भरपूर साथ दिया हालाँकि चन्द्र राहू के कारण वे अपनी राह से भी भटके और छोटे-मोटे प्रकरणों में भी उनका नाम आया मगर अनुकूल दशाओं ने उन्हें बचाया।
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2004 से राहू की महादशा प्रारंभ हुई और ललित के नए व्यापार सौदों का भी कथित शुभारंभ हुआ। 2009 में राहू में शनि का व फिर बुध का प्रत्यंतर चला। दोनों ही विपरीत स्थिति में होने से ललित के खिलाफ अफवाहों का बाज़ार गर्म होने लगा और आखिर बुध ने सारे घोटाले को उजागर कर ही डाला।
गोचर पर विचार करे तो भी लग्नेश नीचस्थ है, शनि कन्या में है और गुरु कुंभ के है जो विशेष कार्य करते प्रतीत नहीं हो रहे। दशा-महादशा के विचार से अप्रैल-मई के बीच मामला और तूल पकड़ेगा और 2012 तक इसका निराकरण होता नजर नहीं आता।
इसके बाद भी ललित को खोई हुई साख वापस हासिल करने में खूब मेहनत करनी पड़ेगी। कानूनी कार्रवाई होगी, वह भी साख बिगाड़ेगी। कुल मिलाकर सितारे पक्ष में नहीं हैं।