डॉ. राधाकृष्णन की कुंडली में लग्न व चतुर्थ भाव का स्वामी गुरु पंचम (विद्या भाव) और मंगल के साथ द्वादश भाव में ही स्थित है। मंगल व गुरु द्वादश भाव में होने के कारण डॉ. राधाकृष्णन विद्या के क्षेत्र में अग्रणी रहें। शिक्षा जगत से आकर कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। प्रमुख राजदूत, फिर उपराष्ट्रपति और उसके देश के राष्ट्रपति बनें।
डॉ. राधाकृष्णन की पत्रिका में भाग्य का स्वामी सूर्य, चंद्रमा के साथ है, जो भाग्य की प्रबलता को इंगित करता है। डॉ. राधाकृष्णन की पत्रिका में बुध दशम में उच्च का होकर शुक्र के साथ है। यह स्थिति नीच भंग कही जाएगी।
डॉ. राधाकृष्णन के लिए इससे बडा सम्मान और क्या हो सकता है कि वह शिक्षक के बाद देश के प्रथम नागरिक बनें। गुरु ज्ञान का कारक है व चंद्र मन का। अक्सर देखने में आया है कि जिनकी जन्मपत्रिका में गुरु स्वराशि धनु का या मित्र राशि वृश्चिक, मेष का रहा, वे लोग शिक्षा जगत में काफी सफल रहे।