आपका जन्म लग्न मेष है, लग्न का स्वामी मंगल उच्च का होकर दशम व्यवसाय भाव में कला के कारक शुक्र के साथ है, जो कला के कारक शुक्र दैनिक व्यवसाय व वाणी भाव के स्वामी के साथ होकर होने से आपको कला जगत में खूब ख्याति मिली।
वहीं दशम व एकादश भाव का स्वामी शनि एकादश में है व उसकी लग्न पर टेढ़ी नीच दृष्टि पड़ रही है। शनि की जब तिरछी नजर खराब पड़ती है तो दंड का भागी बनता है, इस कारण आपको बार-बार शनि का कोपभाजन भी बनना पड़ता रहा है।
द्वितीय भाव कैद का है। उसमें राहु होने से आपको जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। अब आगे आज क्या होगा? जेल या बेल? अभी आपको शनि में राहु में सूर्य का प्रत्यंतर चल रहा है। दशा, अंतरदशा व प्रत्यंतर दशा को देखते हुए बेल मिलना जरा मुश्किल ही है।