* इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा स्तुति करें।
* पाठ स्तुति करने के बाद दुर्गाजी की आरती करके प्रसाद वितरित करें।
* इसके बाद कन्या भोजन कराएं। फिर स्वयं फलाहार ग्रहण करें।
प्रतिपदा के दिन घर में ही जवारे बोने का भी विधान है। नवमी के दिन इन्ही जवारों को सिर पर रखकर किसी नदी या तालाब में विसर्जन करना चाहिए। अष्टमी तथा नवमी महातिथि मानी जाती हैं। इन दोनों दिनों में पारायण के बाद हवन करें फिर यथा शक्ति कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।