चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान प्रथम के प्रवेश के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने शनिवार को कहा कि आज की उपलब्धि को भारतीय अंतरिक्ष इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
इस सफलता से खुश नायर ने बताया कि भारत के इतिहास में पहली बार भारत निर्मित एक उपग्रह चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। इसे भारतीय अंतरिक्ष के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
इसरो द्वारा चंद्रमा की कक्षा में इसे ठीक तरह से स्थापित करने पर खुशी जताते हुए नायर ने यह भी कहा कि कोई भी अंतरिक्ष एजेंसी अपने पहले प्रयास में स्पष्ट और सही कक्षा पाने में सफल नहीं हो सका है।
इस उपलब्धि का श्रेय इसरो को जाता है, जिसने कई निकायों के सहयोग से इस लंबे सफर को पूरा किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में अब हम नेतृत्व करने के स्थान पर आ गए हैं। नायर के मुताबिक मून इंपैक्ट प्रोब को 15 नवंबर के आसपास चंद्रमा के सतह पर छोड़ा जाएगा।