गहरे पानी पैठ...

शनिवार, 26 सितम्बर 2009 (16:53 IST)
अपनी सफलता से उत्साहित इसरो चाँद की सतह पर गहराई से खुदाई करने पर विचार कर रहा है। इसरो प्रमुख जी. माधवन नायर का कहना है कि हमें जो आँकड़े मिले हैं वे वास्तव में उत्साहजनक हैं। इस कारण 2013 में निर्धारित चंद्रयान द्वितीय में अत‍िरिक्त चीजों को जोड़ने पर विचार किया जा रहा है।

इसरो वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर रोवर की मदद से और गहराई में जाया जा सकता है जिससे यह पता लग सके कि सतह के नीचे तो पानी मौजूद नहीं है। यह स्वाभाविक है कि पानी की खोज से उत्साहित वैज्ञानिक इसी दिशा में और आगे जाना चाहते हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि चाँद की सतह पर पानी की रासायनिक मौजूदगी ने वैज्ञानिकों के लिए नई-नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। अब चाँद पर किए जाने वाले अनुसंधानों के लिए यहाँ पर एक स्थायी अड्डा बनाया जा सकता है। इन केन्द्रों पर वैज्ञानिकों के आठ-आठ या दस-दस के जत्‍थों की मौजूदगी में अनुसंधान कार्यों की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि अमेरिका भी 2018 से पहले चाँद पर अड्‍डा बनाने की योजना पर काम करता रहा है और इसके इस अभियान में तेजी आना स्वाभाविक है।

भारत, चीन, जापान और यूरोपीय देश भी अपने चंद्र अभियानों को नया रूप दे सकते हैं और इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए आयाम भी खुल सकते हैं। बहुत अधिक महँगे होने के कारण वैश्विक सहयोग सभी देशों के लिए लाभकारी भी रहेगा। जहाँ तक भारत के लिए अपने चंद्र अभियानों को लेकर नई संभावनाओं पर विचार करने की बात है तो इसे अपने चंद्रयान-2 की तैयारियों को नए सिरे परिभाषित करना होगा।

इस संबंध में इसरो प्रमुख माधवन नायर का कहना है कि द्वितीय परियोजना के तहत दो रोवर भेजने की योजना है। साथ ही, नए लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए मध्यावधि सुधार और फेरबदल करने होंगे। चंद्रमा की सतह की खुदाई प्रमुख लक्ष्य होगा और द्वितीय चरण के सभी प्रयोग भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा ही संचालित होंगे। हाँ, ल्यूनार रोवर को रूस से प्राप्त किया जाएगा पर रोवर का एक छोटा स्वदेशी संस्करण भी भेजा जा सकता है और अतिरिक्त पेलोड को समायोजन की भी मशक्कत करना होगी।

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