श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित भारत का पहला मानव रहित चंद्रयान-1 सुचारू ढंग से काम कर रहा है और उसके कक्षा परिवर्तन का काम सुगमतापूर्वक शुरू हो गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक के सतीश ने बताया कि च्रंद्रयान-1 का कक्षा स्थापना अभियान शुरू कर दिया गया है। अंतरिक्ष यान के सफल प्रक्षेपण के बाद उसे पृथ्वी से 255 किलोमीटर दूर दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में बुधवार को ही स्थापित कर दिया गया था।
उन्होंने बताया कि 1309 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-1 को अगले चरण में पृथ्वी की दूरी से 300 से 1.6 लाख किलोमीटर दूर तक फैली अति दीर्घवृत्ताकार कक्षा पहुँचाने का काम वैज्ञानिकों ने शुरू कर दिया। इसके बाद चंद्रयान को क्रमिक रूप से तीन अन्य चरणों में पृथ्वी की कक्षा में आगे बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पाँचवें चरण में चंद्रयान-1 को पृथ्वी से 2 हजार से 3.84 लाख किलोमीटर दूर दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में पहुँचाने के बाद इसे तीन चरणों में चंद्र कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा।
चंद्रयान-1 अपने साथ छह विदेशी पेलोड सहित 11 पेलोड ले गया है और यह 8 नवंबर या उसके बाद चँद्रमा की कक्षा में स्थापित हो जाएगा। च्रदंयान चँद्रमा के उच्च गुणवत्ता के त्रि-आयामी चित्र भेजने के साथ ही चंद्र धरातल की सरंचना का जायजा लेकर आँकडे़ भेजेगा।
यह चँद्रमा पर जल होने या न होने की भी पुष्टि करेगा। चंद्रयान-1 के सफल प्रक्षेपण से भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है।