चंद्रयान-प्रथम की सफलता के बाद अब भारतीय वैज्ञानिकों को मंगल अभियान की तैयारी शुरू करना चाहिए।
यह बात पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कही। एरोस्पेस प्रौद्योगिकी रखरखाव और ऑप्टीमाइजेशन में हाल में हुई प्रगति पर शुक्रवार को यहाँ दो दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी 'एरोस्पेस-2008' के उद्घाटन सम्बोधन में कहा कि चंद्रयान-प्रथम से मंगल अभियान की प्रेरणा लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान अभियान की सफलता ने इसरो की तकनीकी और रचनात्मक उत्कृष्टता को साबित कर दिया है। उन्होंने देश में सस्ती और सुलभ हवाई सेवाओं के विकास पर जोर देते हुए उम्मीद जताई कि अगले पाँच वर्षों में 100 सीटों वाला जैट बना लिया जाएगा।
उन्होंने देश के श्रेणी दो और तीन शहरों में हवाई पट्टियाँ विकसित करने तथा हवाई सेवा को आम लोगों के दायरे में लाने के प्रयास करने पर जोर दिया।
संगोष्ठी का आयोजन एरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एएसआई) ने टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरी (टीबीआरएल) वायु के तीन बेस रिपेयर डिपो केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन तथा हिम एवं हिमस्खलन अध्ययन संस्थान (सासे) के सहयोग से किया है।