महाभारत में कर्ण और कुंती ने की थी छठ पूजा, जानिए छठ पूजा का इतिहास और महत्व

WD Feature Desk

बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 (12:03 IST)
Chhath Puja 2024 : छठ पूजा हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के लिए मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच प्रचलित है। छठ पूजा का उल्लेख महाभारत के काल में भी मिलता है, जब कर्ण और उनकी माता कुंती ने सूर्य देव की उपासना के लिए इस पूजा को सम्पन्न किया था। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे महाभारत की इस कथा में कर्ण और कुंती ने छठ पूजा की, और इसका क्या महत्व था।

क्या है छठ पूजा का महाभारत से संबंध
महाभारत के अनुसार, कर्ण का जन्म कुंती के गर्भ से हुआ था, जो सूर्य देव के आशीर्वाद से संभव हुआ था। कुंती ने विवाह से पहले सूर्य देव की कृपा से कर्ण को जन्म दिया था, परंतु समाज के डर से उन्हें कर्ण को छोड़ना पड़ा। इस घटना के वर्षों बाद, जब कर्ण बड़े योद्धा बन चुके थे, तब उन्होंने अपने पिता सूर्य देव की उपासना करने के लिए छठ पूजा की।

कर्ण और कुंती के पुनर्मिलन में छठ पूजा की भूमिका
महाभारत के युद्ध के दौरान, कुंती और कर्ण का पुनर्मिलन हुआ, जिसमें कुंती ने कर्ण को अपनी सच्चाई बताई। इसके बाद कर्ण ने कुंती की भावनाओं को सम्मान देते हुए सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए छठ पूजा की। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा के माध्यम से उन्होंने सूर्य देव से शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त किया। यह पूजा न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि कर्ण के अपने परिवार और समाज के प्रति कर्तव्यों को भी दर्शाती है।
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छठ पूजा के धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में छठ पूजा का बहुत महत्व है, क्योंकि इसमें भक्तजन भगवान सूर्य से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। यह पूजा चार दिन तक चलती है, जिसमें व्रत, स्नान, और अर्घ्य देने जैसे कठिन नियमों का पालन किया जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है, और भक्तों को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।

कर्ण की छठ पूजा से जुड़ी धार्मिक शिक्षाएँ
कर्ण का छठ पूजा करना कई धार्मिक संदेश भी देता है:

धर्म के प्रति आस्था: कर्ण ने समाज और परिवार के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए पूजा की, जो उनकी धार्मिक आस्था को दिखाता है।

परिवार और समाज के प्रति कर्तव्य: कर्ण का जीवन त्याग और साहस का प्रतीक है, और उनकी पूजा से यह संदेश मिलता है कि समाज के प्रति हमारे कर्तव्य कितने महत्वपूर्ण हैं।

शक्ति का संचार: छठ पूजा के माध्यम से व्यक्ति सूर्य देव से शक्ति प्राप्त करता है, जो उसे हर कठिनाई से लड़ने की प्रेरणा देती है।
महाभारत में कर्ण और कुंती की छठ पूजा की कथा हमें जीवन में धर्म, कर्तव्य और शक्ति का महत्व सिखाती है। यह पूजा न केवल भगवान सूर्य की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि एक व्यक्ति की आस्था, संकल्प और त्याग का भी प्रतीक है। छठ पूजा के इस पौराणिक प्रसंग को जानकर इस पर्व के प्रति श्रद्धा और भी बढ़ जाती है।

 
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