Chhathi Maiya Worship: छठ व्रत एक कठोर लेकिन अत्यधिक पुण्यकारी व्रत है, जो न केवल श्रद्धालुओं की शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति भी लाता है। यह व्रत विशेष रूप से सूर्य देवता की पूजा और परिवार के कल्याण के लिए किया जाता है। इस व्रत के दौरान संयम, शुद्धता, और सही पूजा विधि का पालन करना जरूरी है ताकि व्यक्ति अपने जीवन में सूर्य देवता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सके।ALSO READ: Chhath geet bhojpuri; छठ पूजा विशेष: भोजपुरी में छठ गीत
यहां छठ पूजन के 10 मुख्य नियम दिए गए हैं:
1. निर्जला उपवास (बिना पानी के उपवासी रहना)
- छठ व्रत के दौरान व्रती को निर्जला उपवासी रहना पड़ता है, यानी बिना पानी के उपवास रखना। यह व्रत 36 घंटे तक चलता है, जिसमें कुछ लोग बिना पानी के रहते हैं।
2. सूर्यास्त और सूर्योदय की पूजा
- व्रती को सूर्यास्त के समय और सूर्योदय के समय सूर्य देवता की पूजा करनी होती है।
- सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे सूर्य देवता की पूजा की जाती है और सूर्योदय के समय फिर से पूजा की जाती है।
3. व्रत में खाने-पीने की विशेषताएं
- प्रसाद, जैसे ठेकुआ बनाते समय पवित्रता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, प्रसाद को जूठा न करें। प्रसाद बनाने के लिए उन बर्तनों का इस्तेमाल न करें जिनमें नॉन-वेज/ मांसाहार बना हो। व्रती को आलू, कद्दू, चीनी, फल और हलवा जैसे विशेष व्रती आहार ही खाना होता है।
- मांसाहार, शराब, प्याज और लहसुन का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।
- घर, पूजा स्थल और रसोई घर में पूरी तरह से साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रती को नदी या जलाशय में स्नान करना चाहिए, ताकि शरीर और मन की शुद्धि हो सके। व्रती को हर समय शुद्धता बनाए रखनी होती है।
5. सभी कर्मों में पवित्रता और संयम
- व्रती को अपने हर कार्य में संयम और पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।
- व्रती को पलंग या बिस्तर पर सोने से बचना चाहिए। उन्हें फर्श पर चटाई बिछाकर सोना चाहिए।
- नकारात्मक विचारों, गुस्से, और बुरे कर्मों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
6. विशेष ध्यान और पूजा विधि
- पूजा के दौरान एकांत में बैठकर ध्यान और मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
- छठी माई और सूर्य देवता की विशेष पूजा विधि का पालन करना चाहिए।
7. परिवार का सहयोग और समाजिक सम्मान
- व्रती को परिवार का सहयोग मिलना चाहिए। परिवार के सदस्य व्रती के दौरान उनकी सहायता करें, जैसे पूजा का सामान तैयार करना, उन्हें आराम देना आदि।
- इस दौरान व्रती को दूसरों का सम्मान करना चाहिए और सामाजिक परंपराओं का पालन करना चाहिए।
- सूर्य देवता को अर्घ्य देने की प्रक्रिया छठ पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- लोटे में दूध और जल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- यह व्रती का अंतिम चरण होता है, जिसमें व्रती सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
9. मौन व्रत या संयम
- कुछ लोग इस दौरान मौन व्रत रखते हैं। यह व्रत मानसिक शुद्धि के लिए होता है, जिससे व्रती अपने आप को और अपने मन को नियंत्रित कर पाता है।
10. परिवार और समाज की भलाई की कामना
- इस व्रत का उद्देश्य न केवल अपने लिए बल्कि परिवार और समाज के सभी लोगों के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करना भी होता है। छठ व्रत में इन नियमों का पालन करने से व्रती का पुण्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
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