क्रिसमय पर गिरजाघरों या घरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता है, भक्ति गीतों के साथ जिंगल का गाना भी बजाया जाता है। लोग एक-दूसरे को कार्ड और गिफ्ट देते हैं। इसके अलावा घंटियां भी बजाते हैं, जिसे रिंगिंग बेल्स कहते हैं। आओ जानते हैं कि इसे बजाने के पीछे क्या है मान्यता।
सैंटा क्लॉज का स्वरूप सफेद लंबी दाढ़ी, सफेद बार्डर वाले लाल रंग के कपड़े और सफेद बार्डर वाली सिर पर लंबी टोपी पहने बूढ़े बाबा जैसा है। मान्यता अनुसार सैंटा क्रिसमस के दिन सीधा स्वर्ग से धरती पर आते हैं और वे बच्चों के लिए टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग में चले जाते हैं। परंपरा से बच्चे सैंटा को 'क्रिसमस फादर' भी कहते हैं। आपने देखा होगा कि उनके हाथ में एक घंटी भी होती है जिसे वे बजाकर बच्चों को खुश करते हैं। सैंटा क्लॉज और जिंगल बेल के बगैर अब क्रिसमस पर्व की कल्पना नहीं की जा सकती। अब तो सैंटा क्लॉज के हाथों भी भी उपहार के साथ एक बेल (घंटी) नजर आती है।