ईसाई समाज में क्रिसमस का उल्लास

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मैरी क्रिसमस पर सांता क्लॉज, क्रिसमस ट्री, प्रार्थना, मोमबत्तियों व सितारों की चमक, घंटों की खनक, सुन्दर सजावट, बिजली के जगमगाते बल्ब, ग्रीटिंग कार्ड, केक, पेस्ट्री, गीत-संगीत, महकते फूल और चहकते बच्चे। इन सबने मिलकर जता दिया कि बड़ा दिन आ गया है, यीशु का जन्म हो चुका है।

रात के बारह बजते ही फटाखे फूटने लगे और चर्च से कैरोल गाने की आवाजें आने लगीं तो समझ लीजिए प्रभु येशू ख्रीस्त हमारे बीच पधार चुके हैं। इस अवसर पर समुदाय के लोग केक काट कर एक-दूसरे को मैरी क्रिसमस की बधाइयाँ देकर अपनी खुशी का इजहार करते है। सेंटा क्लॉज बच्चों के प्यारे प्यारे गिफ्ट देकर खुश करते है।

ईसाई समाज के इस सबसे बड़े त्योहार के रंग महीने भर पहले से शुरू होने वाली क्रिसमस की तैयारी से जमने लगता है। इस दौरान क्रिसमस, नव वर्ष जैसे त्योहार लगातार आ जाते हैं।

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क्रिसमस के दिन प्रभु यीशु का जन्म गौशाला में हुआ था इसलिए गौशाला की झाँकी का बड़ा महत्व होता है। क्रिसमस की खुशी पकवानों के बिना अधूरी होती है। हर घर में रम केक, जिंजर वाइन, डोनल्ड, सलोनी, मीठा, नमकीन सहित तरह-तरह के पकवान बनाएँ और खिलाएँ जाते हैं। गौशाला में जन्म लेने वाले यीशु को बाद में चरनी में रखा जाता है ताकि सभी लोग प्रभु के दर्शन कर सकें।

इस दिन बड़ा दिन हो सबको मुबारक, जन्मा है मुक्ति का दाता हमारा.. जैसे कई गीतों के माध्यम से मनमोहक प्रस्तुतियों का आयोजन भी किया जाता है। चर्च को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाएगा। बाइबिल में लिखे प्रभु के वचन को सुनकर सभी बंधु अपने पापों के लिए प्रभु से माफी भी माँगेंगे और अपनी सुविधानुसार दान भी करेंगे।

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