सबका उद्घार करने आए प्रभु येशु

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वास्तव में ख्रीस्त के जन्म की अद्वितीयता इसी में है कि वह मानव जाति के प्रति ईश्वर के प्रेम का प्रत्यक्ष चिह्न है। उसका उद्देश्य है सबका उद्घार करना। येशु के व्यक्तित्व में ईश्वर का मानव बनकर आने का उद्देश्य है- सब मनुष्यों को जीवन प्रदान करना।

संत योहन अपने सुसमाचार में कहते हैं- ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसके लिए उसने अपने इकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उसमें विश्वास करता है, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करें। (यो. 3:16) अतः हमारे पाप और दुष्कर्मों के कारण नहीं, बल्कि हमारे प्रति ईश्वर के अपूर्व प्रेम के कारण ही येशु को मानव बनकर जन्म लेना पड़ा।

मानव जाति के प्रति पिता ईश्वर के प्रेम ने स्वयं उन्हें पृथ्वी पर आने को प्रेरित किया, ताकि वह हमारी रक्षा कर सके। क्रिसमस के अवसर पर चरनी में लेटा येशु हमें यह जानकारी देता है कि ईश्वर का असीम प्रेम हर मानव के प्रति है।

येशु ईश्वर का पुत्र मानव बन जाता है, जिससे मानवों के पुत्र ईश्वर के पुत्र बन जाएँ। मत्ती के पहले अध्याय में हम पढ़ते हैं- एक कुँआरी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिसका अर्थ है- ईश्वर हमारे साथ है (मत्ती 1:23) क्रिसमस के बारे में दिए गए इन दोनों उदाहरणों में यह दिया गया है कि क्रिसमस के समय ईश्वर, मनुष्य बन गया और मनुष्य जाति के लिए ईश्वर के पुत्र बनने की संभावना उत्पन्न हो गई।

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मानव येशु ही इम्मानुएल हैं और वे ही ईश्वर हमारे साथ हैं। हममें से कई यह प्रश्न पूछते हैं- ईश्वर कहाँ है? क्रिसमस हमसे कहता है- ईश्वर मानव बन गया है। अतः ईश्वर को कहीं और खोजने के बदले हम सबको अपने भाई-बहनों में उसकी खोज करनी चाहिए।

इसलिए हम अपने पड़ोसियों की सेवा, आदर और प्रेम करने में अपने जीवन का सारा समय व्यतीत करें। येशु कहते हैं- भ्रातृ-प्रेम ही सबसे श्रेष्ठ प्रेम है।

संत योहन कहते हैं- अगर कोई पड़ोसी से प्रेम किए बिना यह कहे की वह ईश्वर से प्रेम करता है तो वह झूठ है।

येशु ने कहा- जो दूसरों को प्रेम करते हैं, भूखों को खिलाते हैं, नंगों को कपड़े देते हैं, गरीबों की रक्षा करते हैं वे ही स्वर्ग राज्य में प्रवेश करेंगे।

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