यूँ रखें ध्यान सफाई का

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सामाजिक परिवेश में साफ-सफाई की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारे घर एवं आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखने में हम कहीं-कहीं चूक कर जाते हैं, जिसे अन्य कोई देखने वाला बुरा महसूस करता है। और इसका हमें अहसास भी नहीं होता, क्योंकि हो सकता है वह आपसे कुछ कहकर आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता हो। अतः इन भूलों को सुधारकर हम अपना और अपनों का मन प्रसन्न रख सकते हैं।

* कभी भी पानी लेने के बर्तन से सीधे पानी नहीं पीना चाहिए। पानी गिलास में लेकर ही पीने की आदत डालें।

* पानी के बर्तन साफ-सुथरे हों। कहीं-कहीं बच्चे जूठे गिलास आदि पानी में डाल देते हैं। अतः ऐसी स्थिति में उस पानी को तुरंत बदलें।

* झाडू से निकाला गया कचरा किसी कोने में इकट्ठा कर रखें या दबाएँ नहीं, उसे घर से बाहर उचित स्थान पर हाथो-हाथ डालें।
हमारे घर एवं आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखने में हम कहीं-कहीं चूक कर जाते हैं, जिसे अन्य कोई देखने वाला बुरा महसूस करता है। और इसका हमें अहसास भी नहीं होता, क्योंकि हो सकता है वह आपसे कुछ कहकर आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता हो।


* सर्दी से अनेक बच्चों की नाक बहती है। अधिक छोटे बच्चों के चेहरे एवं कपड़ों की सफाई पर ध्यान देते रहना चाहिए, ताकि आपके यहाँ आया व्यक्ति उससे स्नेह जताने में कतराए नहीं।

* रसोईघर या कहें पूरे घर में मक्खी, काकरोच, मकड़ी के जालों, नीचे बिखरी हुई खाद्य सामग्री, फर्श के दाग-धब्बों को मिटाने में लापरवाही न बरतें।