उन्होंने समूह के 2 लाख से अधिक कर्मचारियों को एक पत्र के माध्यम से कहा कि यह ऐसी आपदा है, जो पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने पत्र में पिछली आर्थिक मंदी के दौरान दिए गए अपने सुझाव को भी दोहराया। उन्होंने पिछली मंदी के दौरान कर्मचारियों को बताया था कि संकट के समय को किस तरह से खुद को नये सिरे से तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
महिंद्रा ने कहा कि यह कामकाज के लिहाज से सामान्य समय नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे संकट से जूझ रहे हैं जो पहले कभी नहीं आया। हम सभी अपने परिजनों, अपने कारोबार, अपनी अर्थव्यवस्था और अपने देश के प्रति चिंतित हैं। इसके बाद भी हम सभी वह कर रहे हैं, जो किया जा सकता है और संकट से दवाब में आये बिना इसके साथ जीना सीख रहे हैं।
महिंद्रा ने कहा कि इन परिस्थितियों ने हमें एक ऐसी मोहलत दी है, जिसका इस्तेमाल अच्छे के लिये किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘घर में बंद होने से हमें यह मालूम हुआ है कि हम किस तरह से पर्यावरण पर अनावश्यक बोझ डाल रहे थे। मैंने मुंबई को कभी इतना खूबसूरत नहीं देखा, जैसा अभी बंद के दौरान दिख रहा है...आसमान नीला है, हवा साफ है, सड़कों पर गंदगी नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि क्या हमें यह सब सीखने के लिए इस तरह के संकट की जरूरत है? क्या संकट के निपट जाने के बाद भी हम इस तरह से नहीं रह सकते हैं? क्या हम पर्यावरण का बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं? क्या हम कम यात्रा कर कार्बन उत्सर्जन कम नहीं कर सकते हैं? क्या हम बेहतर तरीके से काम करने तथा काम और जीवन का संतुलन बनाने के लिये दूर से ही बैठक व संवाद करने के तरीके पर अमल नहीं कर सकते हैं? सबसे महत्वपूर्ण, क्या हम जीवन जीने के व्यक्तिगत और पेशेवर रवैये को नये सिरे से तैयार नहीं कर सकते हैं?