सांसद ने औरंगाबाद में संक्रमण के बारे में दावा किया कि जिले में जांच क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले एक व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने पर कम से कम 80 से 90 संदिग्ध मरीजों की जांच की जाती थी। इस रणनीति ने औरंगाबाद में कोरोना वायरस मामलों को नियंत्रित करने में मदद की थी।
कराड ने आरोप लगाया कि हालांकि जिले में जांच की पर्याप्त सुविधा है, लेकिन उसका पूरा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार औरंगाबाद में कम जांच करके कोरोना वायरस के मामलों की असल संख्या छुपाने की कोशिश कर रही है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि जिले की क्वारंटाइन सुविधाओं का भी पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन का दावा है कि जिले में 7,000 से 9,000 लोगों को क्वारंटाइन केंद्रों में रखा जा सकता है तो संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों को घर में क्वारंटाइन में क्यों रखा गया है? कराड ने कहा कि यदि बिना लक्षण वाले संक्रमित लोगों और संदिग्धों की आक्रामक तरीके से जांच की जाए और उन्हें केंद्रों में क्वारंटाइन में रखा जाए तो हालात काबू में किए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में चिकित्सकीय पेशेवरों का वेतन समान होना चाहिए तभी और चिकित्सक इस वैश्विक महामारी के बीच काम करने के इच्छुक होंगे। एक जिला अधिकारी ने बताया कि औरंगाबाद में शुक्रवार सुबह तक कोरोना वायरस संक्रमण के 2,524 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 1,363 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और 128 लोगों की मौत हो चुकी है। (भाषा)