नई दिल्ली। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। प्रसिद्ध विषाणु विज्ञानी डॉ. टी. जैकब जॉन ने कहा कि कोविड-19 टीकों की बूस्टर खुराक कोरोनावायरस के नए स्वरूप 'ओमिक्रॉन' के खिलाफ कारगर है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोनावायरस के इस नए स्वरूप से महामारी की तीसरी लहर आने की संभावना नहीं है, लेकिन नए स्वरूप से 'ब्रेकथ्रू संक्रमण' फैल सकता है। कोरोनावायरस का टीका लगवाने के बावजूद अगर व्यक्ति इससे संक्रमित होता है तो इसे 'ब्रेकथ्रू संक्रमण' कहा जाता है।
ओमिक्रॉन के बारे में दिए इंटरव्यू में विषाणु विज्ञानी और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विषाणु विज्ञान में उन्नत शोध केंद्र के पूर्व महानिदेशक जॉन ने कहा कि हमें खराब दौर के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल 30 फीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है, इसलिए कप एक-तिहाई भरा हुआ है। जॉन ने कहा कि भारत की आबादी महामारी के पहले चरण (8 महीने तक चले और आबादी के करीब 30 फीसदी को संक्रमित करने वाले) और दूसरे खतरनाक चरण (जिसने 12 हफ्ते में करीब 75 से 80 फीसदी शेष आबादी को संक्रमित किया) से पूरी तरह प्रतिरक्षित है।
उन्होंने कहा कि इस तरह से अगर नया स्वरूप व्यापक रूप से फैलता है तो यह अस्वीकार्य है। लोगों को जितना डर है यह उतना खराब नहीं हो सकता है। इससे तीसरी लहर आने की संभावना नहीं है। फिर भी उचित कदम यह है कि इसे आने से रोका जाए और 'आबादी प्रतिरक्षण' को मजबूत बनाया जाए। इसके दो मतलब हैं- जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है उनका टीकाकरण किया जाए और जिन लोगों को दो खुराक लग चुकी है उन्हें बूस्टर खुराक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि नए स्वरूप के खिलाफ बूस्टर खुराक आसान प्रतिरोधक है जिसे हमें तुरंत बनाना चाहिए।
जॉन ने कहा कि साथ ही पहली खुराक ले चुके लोगों को दूसरी खुराक और बच्चों सहित सभी लोगों को पहली खुराक दी जानी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को पहले गर्भधारण के समय जल्द से जल्द दो खुराक और अगले गर्भधारण के समय बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए। ओमिक्रॉन में उत्परिवर्तन के बारे में जॉन ने कहा कि अभी तक उसके 34 उत्परिवर्तन देखे गए हैं जो अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा तथा अन्य चिंताजनक स्वरूपों से अधिक हैं।