सबसे बड़ी चिंता पर्यटन सीजन को लेकर है। चौथी लहर के आने का आशंकित समय जून के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक का बताया जा रहा है। यह समय जम्मू- कश्मीर में टूरिज्म का पीक सीजन होता है। इसी दौरान प्रदेश में अमरनाथ यात्रा के साथ ही विभिन्न भागों में कई धार्मिक यात्राओं का आयोजन भी होता है जिनमें सुप्रसिद्ध मचेल यात्रा और बुड्डा अमरनाथ की यात्रा भी होती है।
जम्मू जिले में सबसे ज्यादा मामले सामने आने लगे हैं। प्रदेश के सिर्फ 6 जिलों में ही अभी कोरोना के मामले हैं। यूं तो इनकी संख्या अधिक नहीं है, पर चिंता इस बात की है कि अगर इनमें वृद्धि हुई तो क्या होगा? दरअसल, प्रदेश में अब कोरोना टेस्ट न के ही बराबर हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं व यात्रियों के टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं। पाबंदियां मौखिक तौर पर हटाई जा चुकी हैं। लोगों के चेहरों से मास्क कब लापता हो गया, पता ही नहीं चला।
कश्मीर की हालत थोड़ी अलग है। कश्मीर में सर्दी और जुकाम के मामलों में कई 100 गुना वृद्धि हुई है। अस्पतालों में सिर्फ सर्दी और जुकाम व फ्लू के मरीज ही नजर आ रहे हैं। इनमें बच्चों से लेकर बूढ़े तक सब शामिल हैं। ऐसे में कश्मीर के डॉक्टर कहते थे कि अगर समय पर सर्दी-जुकाम का इलाज नहीं किया गया तो कोरोना रफ्तार पकड़ सकता है। दरअसल, कश्मीर में अभी गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है और पिछले कुछ दिनों से मौसम में अचानक आए बदलाव से ऐसे मामलों में और वृद्धि दर्ज की गई है।