देश के 5 राज्य, 5 कहानी, कैसे कोरोना ने ढहाया कहर और अब कैसे रहे उबर
तमिलनाडु से बालाकृष्णन,आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से आई वेंकटेश्वर राव,कर्नाटक से राजेश पाटिल और केरल से बीजूकुमारकी रिपोर्ट।
तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक तेलंगाना और आंध्रप्रदेश ऐसे राज्य रहे हैं, जहां राजनीतिक सभाओं, रेलियों, आम लोगों की लापरवाही और सरकारी तंत्र की व्यस्तता की वजह से कोरोना संक्रमण ने पैर पसारे। आलम यह रहा कि कहीं ऑक्सीजन और पलंग नहीं मिले तो कहीं एंबुलेंस का टोटा नजर आया। अब कहीं स्थिति बेहतर हो रही है तो कहीं राहत मिलने लगी है।
आइए जानते हैं पिछले दिनों से लेकर अब तक इन पांच राज्यों में कोरोना संक्रमण ने कैसे कहर ढहाया और अब से कैसे उबर रहे हैं। वेबदुनिया की रिपोर्ट।
तमिलनाडु का कोरोना ग्राफ
तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में अब चुनावी बुखार तो उतर गया है, लेकिन अब यहां कोरोना के मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी को लेकर गंभीर स्थिति सामने आ रही है। हालांकि राहत की बात यह है कि तीन सप्ताह के लॉकडाउन के बाद तमिलनाडु के केपिटल शहर चैन्नई में कोरोना की संख्या में गिरावट आई है।
27 मई को शहर में 2 हजार 779 मामले दर्ज किए गए जो कि अप्रैल के बाद पहली बार 3 हजार से नीचे आए हैं। जबकि 26 मई को तमिलनाडु में 33 हजार 764 मामले आए थे और इस महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक यहां मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा 475 दर्ज की गई।
स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन का कहना है कि अब हालातों को देखते हुए यहां टेस्टिंग बढ़ा दी गई है और लॉकडाउन का भी असर नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि कोयम्बटूर में मामले कम हुए हैं और दूसरे जिलों में भी ताजा मामले आने कम हुए हैं।
आखिर क्यों बढ़ेमामले?
स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन का कहना है तमिलनाडु में राजनीतिक गतिविधियां कोरोना संक्रमण के इजाफे में एक बड़ी वजह है। इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों में भी यही कारण रहा है। लोगों की लापरवाही यह रही कि उन्हें लगता था कि उन्हें वायरस का संक्रमण नहीं होगा। लेकिन राज्यों के विधानसभा चुनावों ने इसे फैलाने में भूमिका निभाई। चुनावी रैलियों और सभाओं के कारण आलम यह रहा कि संक्रमण के मामले हर राज्य में 30 हजार तक पहुंच गए।
क्या रही स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत?
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें वैक्सीनेशन पर जोर दे रही हैं, लेकिन वैक्सीन की शॉर्टेज ने इसे विफल बना दिया है। कई लोगों को वैक्सीन नहीं मिल सकी है। वहीं पलंग और ऑक्सीजन की कमी ने इस रोग को और गंभीर बना दिया है। निजी और सरकारी अस्पतालों में समान रूप से संसाधनों का यह अभाव रहा। कई मरीज दिन- दिनभर एंबुलेंस में रहकर पलंग खाली होने का इंतजार करते रहे। वहीं लोगों ने जमकर लापरवाही बरती। मास्क नहीं लगाए, सार्वजनिक स्थानों पर एकत्र हुए और वैक्सीनेशन से भी किनारा किया।
कर्नाटक के लिए कौन जिम्मेदार?
कर्नाटक में कोरोना संक्रमण के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, क्या इसके पीछे महाराष्ट्र जिम्मेदार है? हालांकि स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त होने के बाद राज्य सरकार ने 15 दिनों को लॉकडाउन लगा दिया है, फिर भी सवाल यह है कि कर्नाटक इस स्थिति में क्यों पहुंचा।
संक्रमण से लड़ने में कर्नाटक पूरी तरह से असफल रहा। राजनेताओं ने दूसरी लहर की चेतावनी को नजरअंदाज किया, सरकारी तंत्र प्रोजेक्ट और टेंडर में व्यस्त रहा, जबकि आम लोगों ने कोविड प्रोटोकाल को अंगुठा दिखा दिया।
एक आईएएस अफसर ने मीडिया को बताया कि नतीजा यह रहा है अब संक्रमण ग्रामीण इलाकों में भी पसर रहा है। हमने व्यापक पैमाने पर आरएटी किया, मामुली लक्षणों वाले मरीजों को कोविड सेंटर भेजा गया। महाराष्ट्र की सीमा से जुड़े कई इलाकों में संक्रमण दर्ज किया गया, इनमें अठानी, राइबाग और निप्पनी शामिल हैं।
केरल की कोरोना कहानी
कोरोना से लड़ने में केरल एक रोल मॉडल रहा है, लेकिन अब वहां संक्रमण बढ़ रहा है। बावजूद इसके कि केरल ने सुरक्षा के कई उपाय किए। स्वास्थ्य ढांचे को बढ़ाया सब किया फिर भी यहां क्यों संक्रमण रूक नहीं सका। दरअसल, यहां चुनावों कर रैलियों, सभाओं और अन्य गतिविधियों के दौरान कोविड नियमों को पूरी तरह से ताक में रख दिया गया। हजारों की संख्या में लोग प्रचार करने घर से बाहर निकले। रैलियों और सभाओं ने यहां हालत खराब की।
पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी रही, हालांकि केरल ने इस मामले में अच्छा काम किया। केरल ने पहली लहर के बाद ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम बढ़ा दिया था, जिसका उसे फायदा मिला। केरल ने इतना ऑक्सीजन बनाया कि उसने तमिलनाडु, कर्नाटक और गोवा को भी सप्लाय किया। वहीं यहां अस्पतालों में पलंग की भी कमी नहीं रही। हर पंचायत में एक या दो अस्पतालों का होना केरल के लिए फायदेमंद रहा।
तेलंगाना का कोरोना डेटा
तेलंगाना में अब संक्रमण नियंत्रित हो रहा है। तीन हफ्तों का लॉकडाउन, मरीजों का सर्वे यहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया। घरों का सर्वे किया गया, दवाइयां घर भेजी गईं। नतीजा अच्छा रहा। अब अस्पतालों में पलंग खाली हो रहे हैं। लोग रिकवर हो रहे हैं। राज्य में करीब 55 हजार 352 पलंग सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड के लिए तय किए गए। अब मामले भी घट रहे हैं। कहा जा रहा है मई के अंत तक स्थिति काफी कंट्रोल में होगी। तेलंगाना में कुल 5 लाख 65 हजार मामले सामने आए, जिनमें से 5 लाख 26 हजार रिकवर हुए। जबकि 3 हजार 207 लोग की अब तक मौत हुई।
आंध्रप्रदेश की स्थिति
कोरोना कर्फ्यू से आंध्रप्रदेश में अच्छे परिणाम सामने आए। अब यहां मामलें घट रहे हैं। प्रदेश के दूसरे जिलों में भी संक्रमितों की संख्या घट रही है। एक समय था जब संख्या 24 हजार पर थी, अब यह घटकर 14 हजार 500 हो गई है। यहां अब तक 16 लाख 4 हजार मामले दर्ज किए गए। इनमें से 14 लाख 5 हजार लोग ठीक होकर घर गए, जबकि 10 हजार 531 मरीजों की मौत हो गई।