वैज्ञानिकों ने कहा कि एक समूह में शामिल लोगों की बाल एवं व्यस्क मनोचिकित्सा केन्द्र में जांच की गई, जिसमें वे ओसीडी (ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर) से ग्रस्त पाए गए। सभी को एक अस्पताल में थेरेपिस्ट से मिलवाया गया। ओसीडी का शिकार व्यक्ति किसी बात को लेकर बेवजह भय महसूस करने लगता है।
दूसरे समूह में मुख्य रूप से ऐसे बच्चे और युवा शामिल थे, जो कई साल पहले ओसीडी से ग्रस्त थे। डेनमार्क के ओसीडी एसोसिएशन के जरिए इनकी पहचान की गई थी। अध्ययन के अनुसार 102 बच्चों ने प्रश्नावली का जवाब दिया।
आरहुस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तथा अध्ययन के सह-लेखक पेर होव थॉमसन ने कहा कि 'उन्होंने अनुभव किया कि कोविड-19 जैसे संकटों के दौरान उनके ओसीडी, तनाव और अवसाद के लक्षणों ने विकराल रूप धारण कर लिया। दूसरे समूह में शामिल बच्चों और व्यस्कों की दिक्कतों में अधिक इजाफा हुआ था। (भाषा)