अमेरिका ने दी Covishield को मंजूरी, दोनों खुराक ले चुके लोग जा सकेंगे US

मंगलवार, 21 सितम्बर 2021 (17:23 IST)
नई दिल्ली। नवंबर में उन सभी हवाई यात्रियों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका फिर से खुल जाएगा जिन्हें कोरोनावायरस के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया गया है। उन 33 देशों में भारत भी शामिल है, जहां से पूरी तरह से टीका लगाए गए यात्रियों को प्रवेश करने की अनुमति होगी। प्रभावी रूप से कोविशील्ड एकमात्र भारतनिर्मित वैक्सीन है, जो अब तक स्वीकृत टीकों की सूची में है। अमेरिका नवंबर से फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, स्विटजरलैंड और ग्रीस के साथ-साथ ब्रिटेन, आयरलैंड, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ईरान और ब्राजील सहित यूरोप के 26 शेंगेन देशों के पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों को हवाई यात्रा की अनुमति देगा।

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इस कदम की घोषणा के तुरंत बाद व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि कौन से टीके स्वीकार किए जाएंगे, इस पर अंतिम निर्णय यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) पर निर्भर है। देश के शीर्ष चिकित्सा निकाय ने कहा है कि वह किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस के खिलाफ 'पूरी तरह से वैक्सीनेटेड' तभी मानेगा जब उन्हें कोई एफडीए-अधिकृत जैब या विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अधिकृत टीका लगा होगा।

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विदेशी नागरिकों को यात्रा से पहले टीकाकरण का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा और आगमन पर क्वारंटाइन होने की आवश्यकता नहीं होगी। डब्ल्यूएचओ द्वारा अब तक केवल 7 टीकों को उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है। इनमें मॉडर्ना, फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका, कोविशील्ड (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका फॉर्म्युलेशन) और चीन की सिनोफार्म और सिनोवैक शामिल हैं। भारत बायोटेक द्वारा विकसित मेड इन इंडिया कोवैक्सिन को अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है, क्योंकि इसे न तो डब्ल्यूएचओ और न ही यूएस एफडीए द्वारा अनुमोदित किया गया है।
 
समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि कोवैक्सिन के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी इसी महीने आने की संभावना है। अमेरिका ने जून में कोवैक्सिन के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने का अमेरिका का फैसला उस दिन आया जब भारत ने कहा कि वह अगले महीने अतिरिक्त टीकों के निर्यात और दान को फिर से शुरू करेगा। कुल मिलाकर टीकों के दुनिया के सबसे बड़े निर्माता भारत ने अप्रैल में अपनी आबादी को टीका लगाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए टीके के निर्यात को रोक दिया था।

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